मंगलवार यानी 1 अप्रैल से नए वित्त वर्ष की शुरुआत हो गई है। इसी के साथ कई नियम बदल गए और कई नए नियम लागू हो गए हैं। इनमें आयकर, जीएसटी, एलपीजी की कीमतों सहित बैंक की ऑनलाइन और यूपीआई पेमेंट तक के नियम शामिल हैं। इन नियमों के बदलने का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है। 1 अप्रैल से ही डिमैट अकाउंट और बैंकिंग क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जो न सिर्फ निवेश और अंतरण को सुरक्षित रखेंगे बल्कि ग्राहक अनुभव को भी बेहतर करेंगे। सबसे बड़ा बदलाव आयकर व्यवस्था में हुआ है। नई कर व्यवस्था लागू होने के साथ ही अब 12 लाख रुपए तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं देना होगा। वेतन भोगियों के लिए यह सीमा 75000 रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ 12.75 लाख रुपए हो जाएंगे इसी तरह अपडेटेड टैक्स रिटर्न भरने के लिए 24 महीने के बजाय अब 48 महीने मिलेगा। इनके अलावा बैंक खातों में न्यूनतम जमा, यूपीआई से मोबाइल लिंक्ड, म्युचुअल फंड और डीमैट खातों के लिए केवाईसी अनिवार्य जैसे बदलाव भी लागू हो गए हैं। यूपीआई में नए नियमों के अनुसार जिन मोबाइल नंबरों से जुड़े यूपीआई अकाउंट्स लंबे समय से एक्टिव नहीं है, उन्हें बैंक रिकॉर्ड से हटा दिया गया है। वहीं, रुपे डेबिट कार्ड में भी बदलाव किए गए हैं। फिटनेस, यात्रा और मनोरंजन से जुड़े कई बदलाव भी किए गए हैं। इसके तहत तिमाही में एक डोमेस्टिक लाउंज विजिट, इंटरनेशनल लाउंज विजिट और जिम मेंबरशिप जैसी सुविधाएं मिलेंगी। इनमें फिटनेस, स्वास्थ्य, यात्रा और मनोरंजन संबंधी लाभ शामिल हैं। इसके अलावा हर महीने की पहली तारीख को तेल और गैस वितरण कंपनी एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बदलाव करती है। इसी के तहत तेल विपणन कंपनियों ने वाणिज्यिक एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में संशोधन कर दिया है। 19 किलोग्राम वाले वाणिज्यक एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमत में 41 रुपए की कटौती की गई है। जहां तक छत्तीसगढ़ की बात है तो यहां भी कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। बजट प्रावधान के मुताबिक जहां एक ओर पेट्रोल की कीमतों में एक रुपए की कमी की गई है। वहीं, नई आबकारी नीति 2025-26 प्रभावशील हो गई है। पेट्रोल की कीमतों में कमी बीते 31 मार्च को आधी रात से लागू हो गई है। इससे आम जनता को राहत मिलेगी। पेट्रोल की कीमत 100.42 रुपए प्रति लीटर हो गई है। पहले प्रदेश में इसकी कीमत 100 रुपए से ज्यादा थी। प्रदेशवासियों द्वारा लंबे समय से पेट्रोल की कीमतों में कटौती की मांग की जा रही थी। दूसरी ओर, शराब की कीमतों में भी बदलाव किए गए हैं। अब छत्तीसगढ़ में शराब सस्ती कीमतों में बिकेगी। गौरतलब है कि राज्य में 674 सरकारी देशी-विदेशी मदिरा की दुकानें हैं। इसके अलावा प्रीमियम शॉप भी है। 67 नई शराब दुकानें खोलने का प्रस्ताव भी कलेक्टरों से मंगाया गया है। यानी राज्य में अब शराब दुकानों की संख्या बढक़र 741 हो जाएंगी। हालांकि नई दुकानों को लेकर अभी तक कोई अधिकृत जानकारी सामने नहीं आई है। फिलहाल शराब दुकानों का संचालन पुरानी व्यवस्था के तहत किया जाएगा। जैसे-जैसे नई दुकान खोलने के प्रस्ताव आएंगे उसके अनुसार सरकार अनुमति देगी। इस बीच, नई शराब दुकानें खोलने को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। उसका कहना है कि बड़ी-बड़ी बातें करने वाली भाजपा राज्य में शराब की नदियां बहाने वाली है। कांग्रेस के विरोध को ग्रामीणों का भी अच्छा-खासा समर्थन मिल रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शराब बंदी की हिमायत करने वाली भाजपा सरकार का इस पर क्या रूख अपनाएगी! बहरहाल, लोग यह कहने से नहीं चूक रहे हैं कि डबल इंजन की भाजपा सरकार जहां एक ओर आयकर टैक्स में राहत देकर मध्यम वर्ग को खुश करने का प्रयास किया है, तो दूसरी ओर राज्य में शराब दुकानों में बढ़ोत्तरी कर ‘एक हाथ से दे तो दूसरे हाथ से ले’ वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है।
आयकर, शराब और सरकार
