आपकी बात: नई सुबह: नई आशाएं

0 संजीव वर्मा

नई उम्मीदों, नई संभावनाओं और संकल्पों की शुरुआत के साथ वर्ष 2025 का सूर्योदय हो गया है। वर्ष 2024 इतिहास का हिस्सा बन गया। बीता साल ‘कभी धूप-कभी छांव’ की तरह रहा। कहीं प्रतिष्ठा तो कहीं बदनामी इसी से तय होती है कि कब कितनी धूप है और कब कितनी छांव। नए वर्ष का नया दिन जहां एक ओर उत्साह-उल्लास का मौका प्रदान करता है। वहीं, एक सुनहरे सपने को साकार करने का संकल्प लेने का दिन भी होता है। इसलिए पुरानी विफलताओं को भूलकर नई सफलताओं के लिए गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़े। वैसे बीते साल हमने हर क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं अर्जित की है। फिर चाहे वह सामाजिक, आर्थिक राजनीतिक और खेल ही क्यों ना हो। सभी में कुछ न कुछ उपलब्धियों के क्षण रहे हैं। साथ ही उन घटनाओं की भी याद आती है, जहां कई बेकसूर असमय ही काल के ग्रास बन गए। यह साल छत्तीसगढ़ का रजत जयंती वर्ष है। इन 25 सालों में छत्तीसगढ़ ने क्या खोया-क्या पाया, यह विश्लेषण का विषय है। लेकिन छत्तीसगढ़ पूरे साल चर्चा में बना रहा। कभी उपलब्धियों को लेकर तो कभी नक्सलियों की वजह से। भाजपा की नई सरकार ने अपनी घोषणा के अनुरूप ‘मोदी की गारंटी’ को पूरा करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। मार्च से उसने महतारी वंदन योजना के तहत 70 लाख महिलाओं के खाते में हर माह 1000 रुपए देना शुरू किया है। इसके अलावा किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की जा रही है। राज्य को कई पुरस्कार भी मिले। केंद्रीय मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ से बिलासपुर के सांसद तोखन साहू को जगह मिली। नक्सलियों को लेकर सरकार अलर्ट मोड पर रही और उसका सुखद परिणाम भी मिला। 4 अक्टूबर को अबूझमाड़ में 31 नक्सलियों को मार गिराया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद का खत्मा हो जाएगा। वहीं, राज्य में सालभर पीएससी, शराब और कोयला परिवहन के घोटाले गूंजते रहे। 10 जून को बलौदाबाजार में उपद्रवियों द्वारा कलेक्ट्रेट बिल्डिंग और सैकड़ों गाड़ियों को आग के हवाले कर देने की घटना अप्रत्याशित रही। राजनीतिक दृष्टि से देखें तो देश में बीता साल कई बदलाव लेकर आया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाई, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि रही। महाराष्ट्र और हरियाणा में भी भाजपा ने जीत का झंडा बुलंद किया। जबकि झारखंड में हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा और जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस ने बाजी मारी। कांग्रेस के लिए बीता साल मिला-जुला रहा। उसके लिए विशेष उपलब्धि रही कि बीते 10 साल बाद पहली बार लोकसभा और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल हो सका। लोकसभा चुनाव में तो कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या लगभग दो गुनी बढ़ा ली। प्राकृतिक आपदाओं और घटनाओं से भी देश-विदेश अछूता नहीं रहा। साल के जाते-जाते दक्षिण कोरिया में भीषण विमान हादसे में 179 लोगों की जान चली गई। देश ने अपने दो रतन प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा और पूर्व प्रधानमंत्री और चोटी के अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह को खोया। वहीं, खेल के क्षेत्र में भारत ने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की है। ओलंपिक में छह पदक जीते तो पैरालिंपिक में सात पदक के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। टी- 20 विश्व कप क्रिकेट में फतह के साथ चेस ओलिंपियाड में पुरुष और महिला वर्ग में स्वर्ण पदक जीतना और साल की विदाई की बेला में डी गुकेश का विश्व चैंपियन बनने के अलावा कोनेरू हंपी का दूसरी बार विश्व रैपिड चैंपियन शतरंज का खिताब जीतना यादगार बन गया। बीते साल संविधान को लेकर काफी हो-हल्ला हुआ। खासकर विपक्ष आक्रामक ढंग से सत्ता पक्ष पर संविधान विरोधी होने का आरोप लगाता रहा। इन सबके बावजूद अगले साल और आने वाले साल दर साल तक भारत के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि देश लोकतंत्र और पंथ निरपेक्षता के मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हो रहा है। परिवर्तन से भय नहीं है। यह अवसर बदलाव-तरक्की को हवा देता है। नया साल स्वागत को तैयार है। तो क्यों न बीते साल हमने जो संकल्प लिए थे उसे नए साल में पूरा करने का संकल्प लें। समय का कालचक्र तो घूमता रहता है। वह न कभी रुकता है और ना थकता है। तो आइए! हम भी समय के साथ चले और नए साल का दिल से स्वागत करें।
सभी पाठकों को नए साल की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं…!