आपकी बात: चुनावी शतरंज की बिसात पर शह-मात का खेल फिर शुरू

0 संजीव वर्मा
देश के दो प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा की साथ ही एक बार फिर चुनावी शतरंज की बिसात पर शह और मात का खेल शुरू हो गया है। यह दोनों राज्य देश की दो प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के लिए न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि प्रतिष्ठा का भी सवाल है। हालांकि दोनों ही पार्टियां गठबंधन के रास्ते सत्ता की राह तलाश रही है। महाराष्ट्र में भाजपा सत्ता के साथ है तो झारखंड में कांग्रेस। यानी दोनों ही पार्टी यहां एक-एक राज्य में सत्ता का सुख भोग रही है। जहां तक महाराष्ट्र का सवाल है तो यहां दो गठबंधन आमने-सामने हैं। सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन और विपक्ष का महाविकास अघाड़ी एक दूसरे को मात देने साम-दाम-दंड की रणनीति पर चल रहे हैं। महायुति में मुख्य दल भाजपा के साथ शिवसेना (शिंदे) और राकांपा (अजीत पवार) शामिल हैं, तो महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) और राकांपा (शरद पवार) की तिकड़ी जोर आजमाइश में लगी हुई है। हालांकि दोनों ही गठबंधन में एकता दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है।सभी दलों के सुर अलग-अलग हैं। सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में आरक्षण को लेकर रार मचा हुआ है। इस मुद्दे को लेकर पिछले हफ्ते इन दलों के नेताओं की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में बैठक भी हुई। बैठक में क्या हुआ और कैसी रणनीति बनाई गई, यह खुलकर सामने नहीं आई है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि जिस तरह मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग और धनकर को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बात की जा रही है, उसका पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जनजाति समुदाय में विरोध हो रहा है। उससे गठबंधन को नुकसान की आशंका को देखते हुए नई रणनीति बनाई गई है। वहीं, विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी भी अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में लगी है। गठबंधन के तीनों दलों में इस बात पर सहमति बनी है कि महायुति सरकार के खिलाफ जो माहौल लोकसभा चुनाव में दिखाई दिया है उसे बनाए रखा जाए और किसी भी कीमत पर हरियाणा की पुनरावृत्ति न होने दी जाए। इसके लिए कांग्रेस केंद्रीय भूमिका में होने के बावजूद सहयोगी दलों को तरजीह देने की रणनीति पर काम कर रही है, जो अच्छा संकेत है। हालांकि बीच-बीच में दोनों ही गठबंधन में अनबन की खबरें सुनाई देती रही हैं, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है और प्रत्याशियों की घोषणा होने लगी है, मामला शांत होता दिख रहा है। उधर, झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर तनातनी की स्थिति दिख रही है। झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के बीच हुए सीट बंटवारे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल ने एतराज जताया है। पार्टी ने इंडिया गठबंधन की दो पार्टियों के बीच हुए सीट बंटवारे को एकतरफा फैसला बताया है। पार्टी ने यह भी कहा है कि हमारे लिए सारे विकल्प खुले हुए हैं। उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इंडिया ब्लॉक विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ेगा। झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने 81 में से 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। उन्होंने कहा कि शेष 11 सीटों के लिए गठबंधन के सहयोगियों राजद और वाम दलों के साथ सीट बंटवारे को लेकर चर्चा चल रही है। वहीं, भाजपा ने झारखंड में अपने उम्मीदवारों का ऐलान करना भी शुरू कर दिया है। इस बीच कई राज्यों में उपचुनाव भी हो रहे हैं इनमें छत्तीसगढ़ की रायपुर दक्षिण विधानसभा भी शामिल है। छत्तीसगढ़ में भले ही एकमात्र सीट पर उपचुनाव हो रहे हो, लेकिन इसकी गूंज प्रदेश भर में हो रही है। दोनों ही पार्टी कमर कसकर मैदान में उतर चुकी है। भाजपा ने जहां पूर्व सांसद सुनील सोनी को अपना उम्मीदवार बनाया है, तो कांग्रेस ने युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा पर अपना दांव खेला है। यह सीट जहां भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है तो कांग्रेस के लिए अपनी ताकत को आजमाने का समय है, क्योंकि भाजपा सत्ता में है तो उसे यह चुनाव मुफीद लग रहा है और वह इसका लाभ भी लेना चाहेगी। लेकिन कांग्रेस भी दम भर रही है। चूंकि यह सीट भाजपा की परंपरागत सीट रही है। पिछले सात-आठ चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल लगातार यहां से चुनाव जीतते रहे हैं। लेकिन उनके सांसद बनने के बाद खाली हुई इस सीट को कांग्रेस अपनी झोली में डालने जी-जान से जुट गई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस बार करिश्मा कर पाएगी या भाजपा अपनी इस परंपरागत सीट को बरकरार रखने में सफल होगी।