राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मनेंद्रगढ़ नगर ने पथ संचलन, शस्त्र पूजन कर विजयादशमी उत्सव मनाया

0 मृत्युंजय चतुर्वेदी द्वारा

मनेंद्रगढ़। विजयदशमी पर्व पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा पथ संचलन कर, शस्त्र पूजन कर उत्सव मनाया । इस अवसर पर संघ के सभी लोग अपने गणवेश में दंड लेकर शहर के प्रमुख चौक, चौराहा, गलियों में गुजरते हुए अंत में श्री राम मंदिर प्रांगण में पहुंचकर समापन उत्सव मनाया। इस अवसर पर पथ संचलन करते हुए लोगों पर शहर के प्रमुख नागरिक गण महिला,पुरुषों ने पुष्प वर्षा भी की। समापन अवसर पर संघ के जिला संचालक नीरज अग्रवाल एवं नगर संघ चालक व योग कार्यक्रम के जिला निर्देश ठाकुर प्रसाद केसरी, कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता संघ प्रमुख, शिक्षक, सरस्वती शिशु मंदिर सरभोका के व्यवस्थापक कलेश्वर प्रसाद पैकरा जी एवं राम मंदिर के पुजारी रामकृष्ण महाराज की उपस्थिति में कार्यक्रम प्रारंभ किया गया । इस अवसर पर सर्वप्रथम ध्वज फहराकर प्रणाम कर शस्त्र पूजन किया गया।


कार्यक्रम में सुभाषित, एवं गीत के उपरांत मंच पर विराजे विशिष्ट अतिथि राम मंदिर के महंत रामकृष्ण महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि विजयदशमी के अवसर पर ऐसे कार्यक्रम निरंतर होते रहने चाहिए आज देश-प्रदेश मैं बहुत सारी विघटनकारी तत्वों के आ जाने से देश की दशा और देश को बिगाड़नें का निरंतर प्रयास चल रहा है हमें इसके लिए सावधान रहनी चाहिए । ऐसे कार्यक्रमों में हम सबको सहभागी बनना चाहिए। इस संस्था को बाला साहब ने जो सोच कर बनाया था उसमें इसकी उत्तरोत्तर वृद्धि करना होगा। देश हित में राष्ट्रहित में घर के बुजुर्गों को चाहिए कि ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए बच्चों को समाज को आगे आकर अपना योगदान देने हेतु प्रेरित करना चाहिए। कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए संस्था के प्रमुख मुख्य अतिथि कालेश्वर प्रसाद पैकरा ने ने अपने उद्बोधन में कहा कि अश्विन शुक्ल विजयदशमी शक्ति पूजा का अवसर होता है इसमें देवी शक्ति औरआसुरी शक्ति के बीच के संग्राम में आसुरी शक्ति का विनाश होता है अर्थात असत्य पर सत्य की जीत। विजयदशमी का पर्व आप सभी को मंगलमय कल्याणकारी हो। परंपरा के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए विजयदशमी का पर्व सबसे शुभ माना जाता है ऐसे शुभ कार्य के अवसर पर हम सब सात्विक ,राष्ट्रीय, गौरवकारी कार्य किया है विजयदशमी पर्व विजय का प्रतीक है ।जिसे सतयुग में भगवान आसुरी शक्ति महिषासुर को समाप्त करते हैं जैसे द्वापर में भगवान कृष्ण ने कंस को समाप्त किया। शस्त्र पूजन परंपरा अनुसार बुराइयों को समाप्त करने के लिए की जाती है आज देश की रक्षा के लिए भी शास्त्र की पूजा की जाती है महाभारत मैं पांडवों ने अपने वनवास के समय विजयादशमी के दिन अपने शास्त्रों को जो शमी वृक्ष के ऊपर रखते थे उस वृक्ष की पूजा की जाती रही है। इसी प्रकार देश के विषम परिस्थितियों में हिंदुओं की रक्षा करने के लिए विजयादशमी के दिन ही छत्रपति शिवाजी भी प्रारंभ किया था। इसी प्रकार राष्ट्र की शक्ति संचय करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी विजयदशमी का दिन चुना । परम पूज्य डॉक्टर हेडेगवार ने नागपुर में अपने कुछ स्वयंसेवकों को साथ लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की । उन्होंने देखा कि सभी समाज के लोगों में आत्मज्ञान की कमी है उन्हें उनकी शक्ति को पहचानने के लिए आत्मज्ञान को जागृतकरनने हेतु कार्य किया । तब संघ आगे बढ़ पाएगा। इसके लिए उन्होंने कुछ बाल , तरुण, प्रोढ लोगों के साथ शक्ति संचय का कार्य प्रारंभ किया जिससे कि समाज में जागृति पैदा हो सके। उन्होंने आवश्यकता अनुसार कार्य किया विद्या के क्षेत्र में विद्या भारती का बनवासियों के बीच बनवासी कल्याण आश्रम, मजदूरों के बीच कार्य करने के लिए भारतीय मजदूर संघ की स्थापना की जिससे कि समाज के विभिन्न क्षेत्र के लोगों में जागृति पैदा कर सके। देश में विघटनकारी तत्वों से रक्षा करने के लिए पूर्व में भी मात्री शक्तियां मैं महारानी दुर्गावती, अहिल्याबाई मैं भी विकट परिस्थिति में भी अजब का साहस का परिचय देते हुए क्षेत्र के समाज के लोगों के साथ रही और देश के विघटनकारी तत्वों के साथ लड़ी। इसी प्रकार आर्य समाज की स्थापना के लिए दयानंद सरस्वती जी भी ने समाज में समाज के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया अब इन सब के रास्ते पर हम सबको चलना होगा जिससे कि देश को विघटन कारी तत्वों से बचाया जा सके। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को परिवार मय बनाना होगा। हमारा कार्य गांव के अंतिम छोर तक इसको पहुंचना है समाज के अंदर परिवर्तन दिखाई दे रहा है कि नहीं हमें यह देखना होगा हमें अपने चरित्र को भी देखने की जरूरत है हमारा चरित्र अच्छा है कि नहीं अगर हमारा चरित्र अच्छा होगा तो संघ का चरित्र भी अच्छा होगा हम इसे ,इससे राष्ट्र के चरित्र की परिकल्पना कर सकेंगे। हमें चरित्र निर्माण करना होगा, इसके बाद ही देश की चरित्र बनेगा। आज हमारा देश प्रदेश जिला फलने फूलने लगा है अब इसमें कुछ प्रभाव देखने को मिल रहा है यह सब देखकर दुराचारियों को परेशानी होने लगी है हमें अपने संघ को सुदृढ़ करना होगा। हम देख रहे हैं हमारे संस्कृति पर कुठाराघात हो रहा है दुराचारियों द्वारा हमारी संस्कृति को बिगाड़ने का कार्य किया जा रहा है हमें समाज में समाज के निर्माण में भेदभाव मिटाकर कार्य करने की आवश्यकता है परिवार को कुटुंब मय बनाना होगा। हमें समाज मैं एकल परिवार, सहभोज जैसे कार्य करने होंगे जिससे परिवार टूटने से बचे। हमें अपने धर्म के बारे में चर्चा करना होगा ,धर्म को कैसे आगे बढ़ाया जा सके इस पर सोचना होगा। वर्तमान में हमें एक होने की आवश्यकता है आज जो भेदभाव है उसे मिटाना होगा। हमारा पर्यावरण कैसा है प्रदूषित हो रहा है ऐसे में सब समाप्त हो जाएगा । इसका बुरा असर देखने को मिलेगा इसलिए इसे संचय करने की आवश्यकता है । समाज के निर्माण में समरसता लाने की आवश्यकता है। अंत में सभी ने ध्वज नमस्कार, नमस्कार कर ध्वज वंदना की गई । कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन नीरज अग्रवाल ने किया इस अवसर पर प्रमुख रूप से दिनेश्वर मिश्रा, लखन श्रीवास्तव ,धर्मेंद्र पटवा, संदीप दुआ ,प्रमोद अग्रवाल, अनिल केसरवानी, पदम अग्रवाल, गणेश अग्रवाल, सतीश उपाध्याय, मधु पोद्दार, अंकुर जैन, गुड्डा भैया, प्रदीप तिवारी विजय अग्रवाल, श्रीमती प्रतिमा पटवा गीता पासी,जया कर, अलका गांधी , श्वेता मिश्रा उपस्थित रहे।