आत्मनिर्भरता और आत्मरक्षा का ज्ञान हर महिला के लिए अनिवार्य : चंदेल

0 मिशन साहसी के अन्तर्गत तीन दिवसीय स्वरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा लैगिंक उत्पीड़न शिकायत समिति, राष्ट्रीय कैडेट कोर एवं राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा मिशन साहसी (मेकिंग ऑफ फियरलेस) के अन्तर्गत स्वरक्षा कार्यक्रम का आयोजन 17 से 19 अक्टूबर, 2024 तक किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ आज श्रीमती ममता चंदेल के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के लैगिंक उत्पीड़न शिकायत समिति की अध्यक्ष डॉ. आरती गुहे ने की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. संजय शर्मा एवं कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. जी.के. दास उपस्थित थे। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय रायपुर में कार्यरत लगभग 370 महिला प्राध्यापकगण, कर्मचारी एवं छात्राओं ने पंजीयन कराया है, जो इस कार्यक्रम से लाभान्वित होंगे।
मुख्य अतिथि की आसंदी से कर्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीमती ममता चंदेल ने कहा कि हमारे लिए यह गौरव की बात है कि प्रदेश में पहली बार इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में मिशन साहसी के अन्तर्गत आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक महिला होने के नाते मैंने भी इस दिशा में कभी न कभी सोचा है कि हम अपनी सुरक्षा के प्रति कैसे सजग रहें। श्रीमती ममता चंदेल ने कहा कि विपरीत परिस्थति को अपने अनुकूल कैसे बनाये, इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाता है हमारे द्वारा धैर्यपूर्वक लिया गया सही निर्णय और प्रयास। श्रीमती चंदेल ने किहा कि आज के समय में आत्मनिर्भरता और आत्मरक्षा का ज्ञान हर महिला के लिए अनिवार्य है, खासकर हमारी युवा छात्राओं के लिए। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल आत्मरक्षा का कौशल सिखाएगा बल्कि अनुशासन, आत्मसम्मान और टीमवर्क जैसी महत्वपूर्ण योग्यताओं का भी विकास करेगा। उन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के लैगिंक उत्पीड़न शिकायत समिति की अध्यक्ष डॉ. आरती गुहे को बधाई दी और तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रशिक्षकों एवं मार्गदर्शकों का आभार व्यक्त किया जो इस कार्यक्रम के माध्यम से विश्वविद्यालय की महिलाओं, छात्राओं को प्रशिक्षित एवं मार्गदर्शित करेंगे। उन्होने आशा व्यक्त की कि यह कार्यक्रम सभी प्रतिभागियों को एक नई दिशा देगा। उन्होंने कहा कि आइए हम सब मिलकर साहस की इस यात्रा की शुरूआत करें और अपने भीतर छिपी अनंत उर्जा व क्षमताओं को पहचान कर उसे वर्तमान समय के अनुसार निखारें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लैगिंक उत्पीड़न शिकायत समिति की अध्यक्ष डॉ. आरती गुहे ने कहा कि इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम मिशन साहसी का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय में कार्यरत महिलाओं एवं अध्ययनरत छात्रओं की सुरक्षा एवं उनकी आत्म विश्वास को बढ़ाना है जिससे समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण परिवर्तित हो सके। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के विषय में उल्लेखित साहसी शब्द से हमारा पुराना नाता है, जब-जब बुराई बढ़ी है तब-तब शक्ति स्वरूपा दुर्गा देवी अवतरित हुई एवं बुराई का अंत किया और यह सिद्ध किया कि नारी शक्ति से बड़ी और कोई शक्ति नहीं होती। उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसी प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रत्येक दिवस प्रेरक नारी शक्ति को समर्पित है। आज का दिन रानी अहिल्या बाई होलकर को समर्पित है, क्योंकि वे सशक्त नारी का अनुपम उदाहरण है, क्योकि रानी अहिल्या बाई असाधारण शासक, कुशल न्याय प्रिय प्रशासक, धर्म एवं संस्कृति का संरक्षण करने वाली नारी थीं। समारोह में विशिष्ट अतिथि डॉ. संजय शर्मा एवं डॉ. जी.के. दास ने अपने संबोधन से प्रतिभागियों का उत्साह वर्धन किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण डॉ. ज्योति भट्ट ने दिया ,कार्यक्रम का संचालन डॉ. दीप्ति झा ने किया।
इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में तीन थीम रानी अहिल्याबाई होल्कर, रानी दुर्गावती एवं झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के साहस से प्रेरणा लेते हुए विश्वविद्यालय की छात्राओं, महिला कर्मचारियों एवं उनके परिवार की महिलाओं को शारीरिक स्वरक्षा संबंधी तकनीकों का सजीव प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिससे किसी आकस्मिक घटना की स्थिति में इस कौशल का प्रयोग कर अपनी स्वयं की एवं अन्य महिलाओं की सुरक्षा कर सकें। इस कार्यक्रम में कार्यस्थल पर होने वाले लैंगिक उत्पीड़न से बचाव हेतु स्वरक्षा की शारीरिक दांव पेंच एवं तकनीक का सुश्री अंजली गिरी गोस्वामी अन्तर्राष्ट्रीय कराटे खिलाड़ी एवं सेकंड डेन ब्लेक बैल्ट एवं सुश्री आरती वर्मा द्वारा सजीव प्रशिक्षण तीन दिवस तक दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मिशन साहसी के अन्तर्गत यह छत्तीसगढ़ में आयोजित पहला कार्यक्रम है।