आपकी बात: वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन भाजपा के लिए नफा या नुकसान?

0 संजीव वर्मा
देश में इन दोनों वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर विवाद और अधिकारों को नियंत्रित करने की उठ रही मांग के बीच केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम में संशोधन की तैयारी में जुट गई है। बताया जा रहा है कि वक्फ अधिनियम में 40 प्रमुख संशोधनों के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल की बैठक में स्वीकृति भी दी जा चुकी है और जल्द ही संसद में संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। ऐसा कहा जा रहा है कि यह विधेयक इसी सत्र में लाया जाएगा। यदि संसद में संशोधन विधेयक पारित हो गया तो वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियां कम हो जाएंगी। बोर्ड किसी भी संपत्ति पर बिना सत्यापन अपना आधिपत्य घोषित नहीं कर सकेगा। गौरतलब है कि रेलवे और सशस्त्र बल के बाद सर्वाधिक भूमि का स्वामित्व रखने वाले वक्फ बोर्ड के अनियंत्रित अधिकारों में कटौती के लिए अधिनियम में संशोधन की तैयारी मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले ही शुरू कर दी थी। दरअसल देश में अभी 30 वक्फ बोर्ड हैं, जिनके स्वामित्व में 9.40 लाख एकड़ में फैली हुई 8.70 लाख संपत्तियां हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। हालांकि इससे राजस्व भी ना के बराबर मिल रहा है। यहां तक की केंद्र व राज्य सरकार या अदालतें भी इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं। कहा जा रहा है कि वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वालों के अलावा अन्य लोग भी इस अधिनियम के खिलाफ हैं। सच्चर कमेटी ने भी कहा है कि वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता होनी चाहिए। वक्फ बोर्ड की संपत्ति का इस्तेमाल केवल मुसलमान ही कर सकते हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि 2013 में संप्रग सरकार ने 1995 के मूल वक्फ बोर्ड अधिनियम में बदलाव करके वक्फ बोर्ड की शक्तियों को बढ़ाया था। इससे बोर्ड को असीमित अधिकार मिल गए। उसके पास वर्तमान में किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार है। दलील यह दी जाती है कि यह संपत्ति जरूरतमंद मुसलमानों की भलाई के लिए है, लेकिन देखा गया है कि कुछ लोग इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कई लोगों की संपत्ति को जबरन वक्फ संपत्ति घोषित करने का भी विवाद है। कुछ वर्ष पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दिल्ली के 123 ऐसी ही विवादित संपत्तियों की जांच करने का आदेश दिया था। अब यदि केंद्र द्वारा प्रस्तावित संशोधन विधेयक पारित हो जाता है तो वक्फ बोर्ड बिना सत्यापन के किसी भी संपत्ति पर अधिकार घोषित नहीं कर सकेगा। यही नहीं प्रस्तावित विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि काउंसिल और बोर्ड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य हो जाएगा। बहरहाल, संशोधन विधेयक की सुगबुगाहट के बीच राजनीतिक हलचलें भी तेज हो गई हैं । ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वक्फ अधिनियम में ऐसा कोई भी बदलाव कुबूल नहीं होगा, जिससे वक्फ संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति बदल जाए या उन्हें हड़पने सरकारी या किसी व्यक्ति के लिए आसान हो जाए। वहीं , एआईएमआईएम के अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार हिंदुत्व के अपने एजेंडे पर काम कर रही है। वहीं, कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों, महिलाओं और शिया तथा बोहरा जैसे विभिन्न संप्रदाय के लोगों ने मौजूदा कानून में बदलाव की मांग की है। जबकि, भाजपा का कहना है कि सरकार अनियमिताओं को दूर करना चाहती है, इसमें कोई विरोध नहीं होना चाहिए। वैसे भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आने वाला है जब 2 महीने बाद ही महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा के चुनाव होने हैं। उत्तर प्रदेश में भी 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा को उसका सियासी फायदा मिलेगा या नहीं। चूंकि भाजपा हर फैसला नफा-नुकसान को देखकर लेती रही है। इस फैसले को भी इसी नजरिया से देखा जा रहा है। लेकिन सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड और तेलुगू देशम पार्टी को साधना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। दोनों के समर्थन के बिना इस विधेयक को आगे बढ़ाना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।