आपकी बात: सभी राजनीतिक दल ‘एक थाली के चट्टे-बट्टे’ 

0 संजीव वर्मा 
    दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी का मामला तूल पकड़ लिया है। पुलिस ने इस मामले में न केवल एफआईआर दर्ज कर ली है बल्कि मुख्यमंत्री के निज सहायक बिभव कुमार को गिरफ्तार भी कर लिया है। इस मुद्दे पर अब राजनीति तेज हो गई है। वैसे देखा जाए तो सभी राजनीतिक दल ‘एक ही थाली के चट्टे -बट्टे’ नजर आते हैं। भाजपा  इसे महिला के सम्मान से जोड़कर केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर हमलावर है, तो आम आदमी पार्टी ने मालीवाल को भाजपा का चेहरा बता दिया है। गौरतलब है कि ‘आप’ सांसद स्वाति मालीवाल ने आरोप लगाया है कि बीते 13 मई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास में उनके निज सचिव बिभव कुमार ने उन्हें लात, थप्पड़ से पिटाई की और घसीटा। मालीवाल ने पुलिस को एफआईआर में घटना की विस्तृत जानकारी दी है। इसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और मुख्यमंत्री निवास से बिभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब देश में लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं। अब तक पांच चरण के मतदान हो चुके हैं। दो चरण के बाकी हैं। खासकर दिल्ली, पंजाब, उत्तरप्रदेश और हरियाणा जैसे राज्य में चुनाव होने हैं। ऐसे में यह घटना बहुत कुछ बयां कर रही है। दरअसल, दिल्ली शराब घोटाला मामले में जेल में बंद अरविंद केजरीवाल के अंतरिम जमानत में बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव के प्रचार में आक्रामक हो गई थी। खुद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री पर सीधे अटैक कर अपना इरादा साफ कर दिया था। उनके आक्रामक रूख के बीच हुई घटना के बाद केजरीवाल ने भाजपा कार्यालय तक विरोध मार्च किया। निश्चित रूप से इस घटना से ‘आप’ को राजनीतिक रूप से नुकसान उठाना पड़ सकता है। सबसे बड़ी बात है कि एक महिला के साथ हुई अभद्रता के मामले में ‘इंडिया’ गठबंधन भी मौन हो गया है। गठबंधन में शामिल कोई भी पार्टी कुछ नहीं बोल रही है। हालांकि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यह जरूर कहा है कि वे महिलाओं के साथ अभद्रता को स्वीकार नहीं करती और वे पीड़ित महिला के साथ हमेशा खड़ी रहेगी। बहरहाल, स्वाति मालीवाल ने जो आरोप लगाए हैं वह बेहद गंभीर है। उनमें जरा से भी सच्चाई है तो यह चिंतनीय है। घटना निंदनीय है। लेकिन इसे राजनीतिक मसला नहीं बनाया जाना चाहिए। केजरीवाल जब जेल से बाहर आए तो ‘आप’ ने एक माहौल बनाने की कोशिश की लेकिन इस घटना से सब गुड़-गोबर होता दिख रहा है। अब पूरी पार्टी बैकफुट पर दिखाई दे रही है। हालांकि यह सब जांच का विषय है। मालीवाल ने एफआईआर दर्ज कराई है तो बिभव ने भी शिकायत दर्ज कराई है। इस घटना के बाद जिस तरह से दिल्ली पुलिस और राष्ट्रीय महिला आयोग ने तत्परता दिखाई है वह भी काबिल-ए-गौर है। इसी तरह की तत्परता बृजभूषण शरण सिंह, रेवन्ना, संदेश खाली और मणिपुर के मामले में दिखनी चाहिए थी। लेकिन नहीं दिखी। लगभग सभी मामले महिलाओं के साथ हुई अभद्रता से जुड़े हुए हैं।  राजनीतिक दलों की एक दूसरे पर छींटाकशी जगजाहिर है। वे आरोप-प्रत्यारोप में ही मशगूल होते हैं। इस सच्चाई से कोई मुंह नहीं मोड़ सकता कि ‘सभी एक ही थाली के चट्टे-बट्टे’ हैं। लगता है अब संवेदनशीलता खत्म हो चुकी है। महिला सम्मान के लिए बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, लेकिन जब कोई मामला सामने आता है कि राजनीतिक दल अपने-नफा-नुकसान को देखकर रूख अपनाते हैं। स्वाति मालीवाल का मामला साधारण नहीं है। उनकी अपनी पार्टी के भीतर ही इस तरह की घटना हो तो इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। मालीवाल ‘आप’ की वरिष्ठ नेत्री हैं। ऐसे में पार्टी के अन्य नेताओं के साथ कैसा बर्ताव होता होगा, इसे समझा जा सकता है। हालांकि राजनीति में घात-प्रतिघात का दौर चलता रहता है। लेकिन पार्टी के अंदर हुई यह घटना अप्रत्याशित है।