आपकी बात: ‘जय श्रीराम’ और ‘भारत रत्न’ के सहारे तीसरी पारी की तैयारी

0 संजीव वर्मा
लोकसभा चुनाव की तारीखों का भले ही ऐलान नहीं हुआ हो, लेकिन इसकी आहट सुनाई देने लगी है। 17 वीं लोकसभा के अंतिम सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में इसके संकेत तो दिए ही हैं, उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों और उपलब्धियों का बखान भी किया। ‘जय श्रीराम’ और ‘भारत रत्न’ के भरोसे तीसरी पारी खेलने की तैयारी करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले पांच साल के दौरान हुए रिफॉर्म, परफॉर्म व ट्रांसफॉर्म यानी सुधार, क्रियान्वयन व बदलाव को अहम् बताया। प्रधानमंत्री ने श्रीराम मंदिर निर्माण, अनुच्छेद-370 हटाने, तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने और महिला आरक्षण कानून जैसी उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि देश बीते सात दशकों से जिन मुद्दों की राह देख रहा था, उसका इंतजार खत्म हुआ। अब एक देश-एक कानून है। एक तरह से प्रधानमंत्री ने लोकसभा के भीतर अपने संबोधन के जरिए संकेत दे दिए कि उनका चुनावी एजेंडा क्या होगा? जिस तरह से सदन के भीतर जयश्री राम के नारे लगे वह यह बताने के लिए काफी है कि भाजपा इस चुनाव में इसे भी मुद्दा बनाएगी। वैसे, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले 20 दिनों के भीतर देश की पांच महान विभूतियों को ‘भारत रत्न’ सम्मान देने की घोषणा कर पहले ही एक बड़ा दांव खेल चुके हैं। निश्चित रूप से आगामी चुनाव में भाजपा को इसका लाभ मिलेगा। पिछले हफ्ते पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह, पीवी नरसिम्हा राव और प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन को देश का सर्वोच्च सम्मान देने की घोषणा की। इसके पहले उन्होंने 23 जनवरी को सामाजिक न्याय के पुरोधा कहे जाने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और उसके बाद तीन फरवरी को पूर्व उप प्रधानमंत्री व अयोध्या आंदोलन के नायक रहे लालकृष्ण आडवाणी को ‘भारत रत्न’  देने का ऐलान किया था। इन घोषणाओं में भाजपा की चुनावी रणनीति भी शामिल हैं। इनमें कुछ नाम ऐसे हैं, जिनका चयन भाजपा ने इसलिए किया है क्योंकि उनके समाज में उसकी पकड़ कमजोर है। साथ ही, इसके जरिए वह पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग और किसानों के साथ-साथ दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों की जनता को भी बड़ा संदेश देने का काम किया है। सबसे आश्चर्यजनक घोषणा नरसिम्हा राव की रही, जो कांग्रेस के बड़े नेता थे। दरअसल मोदी ने राव के जरिए कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस ने कभी भी राव का सम्मान नहीं किया। राव को देश के आर्थिक सुधार की नींव रखने वाले प्रधानमंत्री के तौर पर जाना जाता है। वे आंध्रप्रदेश के थे और दक्षिण के राज्यों में मतदाताओं पर उनका आज भी प्रभाव माना जाता है। वहीं, जाट नेता चौधरीचरण सिंह के जरिए वह उत्तरप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में किसानों और जाट समुदाय के बीच पार्टी की पहुंच को बढ़ावा देने की कोशिश में जुटी है। जबकि स्वामीनाथन को सम्मान देकर भाजपा तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में अपनी पहुंच बढ़ाने और किसान समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता जताने का प्रयास किया है। केरल में जन्में स्वामीनाथन ने तमिलनाडु को अपना घर बनाया। हरितक्रांति के जनक थे और उन्होंने जीवनभर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में लगे रहे। बहरहाल, भाजपा ने ‘भारत रत्न’ के जरिए एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। दरअसल कोई भी राजनीतिक व्यक्ति या दल जब कोई फैसला करता है तो उसके पीछे राजनीति नहीं होगी, यह संभव ही नहीं है। भाजपा भी इससे अछूती नहीं है। जो भी राजनीति में है, उसका अंतिम लक्ष्य सत्ता तक पहुंचना होता है। ऐसे में भाजपा ने ‘भारत रत्न’ के जरिए राजनीति तो की है, लेकिन उन्होंने जो चयन किया है उन पर कोई ऊंगली भी नहीं उठा सकता। सभी इस सम्मान के योग्य थे। यही वजह कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस फैसले को विपक्ष न निगल पा रहा है न उगल पा रहा है। इस बीच, राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ चल रही है। कांग्रेस को इससे बड़ी उम्मीदें हैं। विपक्षी गठबंधन बना ‘इंडिया ‘ बिखरा-बिखरा सा दिख रहा है। गठबंधन के दलों के सुर अलग-अलग दिख रहे हैं। नीतीश कुमार भाजपा के पाले में चले गए हैं, तो ममता व केजरीवाल ‘अपनी ढपली-अपना राग’ अलाप रहे हैं। इन सबके बीच भाजपा अपना कुनबा बढ़ाने में लगी हुई है। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल होने के संकेत दिए हैं। इन परिस्थितियों में देखने वाली बात ही होगी कि जयंत चौधरी अकेले जाते हैं या साथ में किसानों का समर्थन भी ले जा पाते हैं।