0 संजीव वर्मा
अयोध्या में श्रीराम मंदिर की 22 जनवरी को होने वाली प्राण-प्रतिष्ठा के बीच छत्तीसगढ़ में अब लोकसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा रणनीति बनाने में जुट गए हैं। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस की गतिविधियों से राजनीतिक तापमान काफी बढ़ गया है । भाजपा तो विधानसभा चुनाव की जीत के बाद से ही लोकसभा चुनाव की तैयारी में लगी हुई है। जबकि कांग्रेस को हार के सदमे से उबरने में करीब एक महीने लग गए। इस दौरान प्रदेश प्रभारी महासचिव बदले गए और अब नए प्रभारी युवा नेता सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस एक बार फिर चुनावी मैदान में ताल ठोंकने को तैयार है। जहॉं तक भाजपा का सवाल है तो विधानसभा चुनाव में जीत से उत्साहित उसके पदाधिकारी और कार्यकर्ता एक बार फिर मोदी की गारंटी के दम पर चुनावी समर में उतरने को बेताब दिख रहे हैं। भाजपा का कहना है कि वह मोदी सरकार के बीते 10 वर्षों के कार्यकाल और छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के बीते एक महीने के अल्प कार्यकाल में लिए गए जनकल्याणकारी फैसले को लेकर जनता के बीच जाने के लिए संगठनात्मक स्तर पर रणनीतिक तैयारियों को अंतिम रूप दे चुकी है। उसने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रख छत्तीसगढ़ को तीन कलस्टर बस्तर, रायपुर और बिलासपुर में बांटा है, जिसमें लोकसभा क्षेत्रों के लिए प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। बस्तर कलस्टर में तीन लोकसभा क्षेत्र बस्तर, कांकेर और महासमुंद को रखा गया है। जबकि रायपुर कलस्टर में चार लोकसभा क्षेत्र दुर्ग, राजनांदगांव, रायपुर और जांजगीर-चांपा शामिल हैं। इसी तरह बिलासपुर कलस्टर में चार लोकसभा क्षेत्र बिलासपुर, कोरबा, सरगुजा और रायगढ़ को रखा गया है। इन सभी लोकसभा क्षेत्रों के लिए युवा और अनुभवी लोगों को जिम्मेदारियां दी गई है। इनमें पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद, विधायक और संगठन के पदाधिकारी शामिल हैं। निश्चित रूप से भाजपा जिस तरह से चुनावी रणनीति तैयार कर रही है वह यह बताने के लिए काफी है वह इसे पूरी गंभीरता से ले रही है। उसकी नजर प्रदेश की पूरी की पूरी 11 सीटों पर है। फिलहाल वह 9 सीटों पर काबिज है और हारी गई दो सीटों पर भी कब्जा करने की जुगत में है। ऐसा कहा जा रहा है कि वह विधानसभा चुनाव की तर्ज पर आदर्श आचार संहिता लागू होने के पहले ही अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर देगी, ताकि उन्हें चुनावी तैयारियों के लिए समय मिल सके। उधर, कांग्रेस भी अपने नए प्रभारी सचिन पायलट के नेतृत्व में पूरे दमखम के साथ मैदान मारने के लिए उतावली दिख रही है। प्रदेश प्रभारी बनने के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ आए पायलट के लिए जिस तरह से उनके स्वागत में कांग्रेसियों ने पलक पावड़े बिछाए वह यह बताने के लिए काफी है कि पायलट के प्रभारी बनने से कांग्रेस में भी उत्साह है। वैसे पायलट अपने पहले छत्तीसगढ़ प्रवास में ही कई छाप छोड़ गए। दो दिन वे राजधानी रायपुर में बिताए। इस दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ भेंट मुलाकात तो की ही है, साथ ही मैराथन बैठकें लेकर प्रदेश कांग्रेस की नब्ज भी टटोली और यह जानने का प्रयास किया कि प्रदेश कांग्रेस की स्थिति कैसी है। साथ ही चुनाव समिति की बैठक ली और लोकसभा चुनाव की तैयारियों का आगाज किया। बैठक में पायलट ने वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों से चुनावी रणनीति पर चर्चा की और उनसे सुझाव भी मांगे। समिति ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्याशियों का चयन जल्द से जल्द कर लिया जाए। इसके अलावा लोकसभा समितियों का गठन करने तथा सम्मेलन आयोजित करने के भी सुझाव सामने आए। लोकसभावार बनाई जाने वाली समितियों में वरिष्ठ नेताओं के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों और क्षेत्र के विधायकों को रखने पर सहमति बनी है। बैठक में आदिवासी क्षेत्रों में अधिक ध्यान देने पर जोर देने तथा कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने के लिए लोकसभावार जल्द से जल्द सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा छत्तीसगढ़ के जिन जिलों से होकर गुजरेगी वहां शीर्ष से लेकर स्थानीय कार्यकताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने को कहा गया। बहरहाल, कांग्रेस-भाजपा दोनों चुनावी मूड में आ गई है। लेकिन तैयारियों में भाजपा आगे दिख रही है। स्थानीय स्तर पर भी उसकी सक्रियता बढ़ गई है। कांग्रेस धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। हालांकि मतदाताओं के मूड को भांपा नहीं जा सकता। किन्तु कांग्रेस-भाजपा की गतिविधियों ने राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया है।