आपकी बात: मंत्रिमंडल विस्तार बनाम लोकसभा चुनाव की रणनीति

0 संजीव वर्मा
    छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया। नए मंत्री शामिल किए गए हैं। इन्हें मिलाकर अब मंत्रियों की संख्या 12 हो गई है। नियम के अनुसार छत्तीसगढ़ में 13 मंत्री हो सकते हैं। ऐसे में अभी भी एक और सदस्य को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है जबकि मंत्रिमंडल में शामिल होने की ख्वाहिश अनेकों पाले हुए हैं । इससे पहले मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ दो उपमुख्यमंत्री अरूण साव और विजय शर्मा शपथ ले चुके थे। अभी जिन 9 नए मंत्रियों ने शपथ ली हैं। उनमें बृजमोहन अग्रवाल, राम विचार नेताम, दयाल दास बघेल, केदार कश्यप, लखन लाल देवांगन, श्याम बिहारी जायसवाल, ओपी चौधरी, टंकराम वर्मा और लक्ष्मी राजवाड़े शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने जिस तरह से मंत्रिमंडल का गठन किया है। उसमें कई संदेश छिपे हैं। इसमें जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण के अलावा आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति की भी झलक दिख रही है। 12 मंत्रियों में 6 अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी वर्ग के अलावा 3 अनुसूचित जनजाति, 2 सामान्य और एक अनुसूचित वर्ग से हैं। जिस तरह से मंत्रिमंडल में ओबीसी वर्ग को प्राथमिकता दी गई है, वह राज्य में ओबीसी की बहुलता को देखते हुए निर्णय लिया गया है। इसमें साहू, कुर्मी, कलार, राजवाड़े, देवांगन और अघरिया समाज को प्रतिनिधित्व दिया गया है। टिकट बंटवारे में भी भाजपा ने ओबीसी वर्ग का अच्छा खासा ध्यान रखा था, जिसका उसे फायदा भी मिला। एक तरह से ओबीसी वर्ग में सोशल इंजीनियरिंग का नया फार्मूला पेश किया है, जो अब तक सफल रहा है। इसी तरह क्षेत्रीय समीकरणों में भी संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है। सरगुजा संभाग में भाजपा सभी 14 सीटों पर विजय हासिल की है। तो वहां से 4 मंत्री बनाए गए हैं। इनमें मुख्यमंत्री साय के अलावा राम विचार नेताम, श्याम बिहारी जायसवाल और लक्ष्मी राजवाड़े शामिल हैं। वहीं, बिलासपुर संभाग से 3 मंत्री बनाए गए है। इनमें उपमुख्यमंत्री अरूण साव के साथ ओ.पी. चौधरी, लखन लाल देवांगन को लिया गया है। जबकि रायपुर और दुर्ग संभाग से दो-दो मंत्री बनाए गए हैं। रायपुर से बृजमोहन अग्रवाल और टंकराम वर्मा तथा दुर्ग संभाग से उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और दयाल दास बघेल हैं। बस्तर संभाग से फिलहाल एक मात्र केदार कश्यप को मंत्री पद से नवाजा गया है। ऐसे में यह कयास लग रहे हैं कि खाली एक सीट पर बस्तर से ही मंत्री बनाए जाएंगे। वैसे बस्तर संभाग से भाजपा को आशा के अनुरूप सीटें मिली है। ऐसे में उम्मीद थी कि मंत्रिमंडल में बस्तर को भी अच्छा खासा प्रतिनिधित्व मिलेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हालांकि जगदलपुर के विधायक किरण सिंहदेव को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने एक नया दांव चला है। वह इसके बहाने एक तीर से कई निशाने साधने के मूड में दिख रही है। दरअसल कांग्रेस ने बस्तर के ही सांसद दीपक बैज को दुबारा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है।  ऐसे में भाजपा किरण देव को इसकी काट के तौर पर प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है, साथ ही वह यह बताना चाह रही है कि बस्तर उसकी प्राथमिकता में है। यहीं वजह है कि पार्टी की कमान बस्तर के हाथों सौंप दी गई है। वैसे भाजपा ने अध्यक्ष की जिम्मेदारी दूसरी बार बस्तर के नेता को दी है। इससे पहले विक्रम उसेंडी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। बहरहाल, भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार और पार्टी प्रमुख के पद पर जिस तरह से फूंक-फूंक कर कदम रखा है। वह यह बताने के लिए काफी है कि वह चुनावी मूड में आ गई है। हालांकि लोकसभा चुनाव को ज्यादा वक्त नहीं है। अगले साल अप्रैल-मई में चुनाव संभावित है। ऐसे में मंत्रिमंडल गठन जिस अंदाज में किया गया है, वह लाजिमी है। लोकसभा चुनाव और उसके परिणाम के बाद एक नई तस्वीर उभरकर सामने आएगी। तब तक मंत्रिमंडल में खाली एक मात्र सीट के दावेदारों के पास इंतजार करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है।