0 संजीव वर्मा
अपने जमाने की मशहूर फिल्म “ताजमहल” का गाना था जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा…। अब छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को यह गाना कांग्रेस के लोग बार-बार याद दिलाते रहेंगे क्योंकि वादा निभाने की बारी अब पूर्व केन्द्रीय मंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ के चौथे मुख्यमंत्री की हो गई है और उन्हें वादा निभाना पड़ेगा। वे ‘प्रथम आदिवासी’ मुख्यमंत्री हैं। दरअसल, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने काफी सोच विचार के बाद साय को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। उसकी नजर आगामी लोकसभा चुनाव पर है। साथ ही आदिवासी बहुल झारखंड और ओडिशा विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। ऐसे में वह आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर देश में एक संदेश देने की कोशिश की है। वहीं, दो उपमुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग से अरूण साव और सामान्य वर्ग से विजय शर्मा को बनाया गया है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे। जिस तरह से छत्तीसगढ़ के तीन बार मुख्यमंत्री रहे और पूरे देश में प्रभावशाली चेहरे के रूप में पहचान बनाने वाले डॉ. रमन सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर संतुष्ट किया गया है, वह भाजपा के कड़े फैसले का प्रमाण है। फिलहाल विष्णुदेव साय के सामने एक हिमालयीन चुनौती है, जिससे उन्हें पार पाना है। श्री साय के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते ही राज्य की दशा और दिशा क्या होगी, यह भी तय हो जाएगा। मनोनीत मुख्यमंत्री श्री साय ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा है कि वे ‘मोदी की गारंटी की गारंटी’ को पूरा करेंगे। यानी भाजपा अपने संकल्प पत्र में जो-जो घोषणाएं की है उसे प्राथमिकता के साथ पूरा करेगी। साय ने यह भी कहा है कि सबसे पहले प्रधानमंत्री आवास योजना की गारंटी को पूरी की जाएगी। इसके अलावा किसानों को दो साल का बकाया बोनस और समर्थन मूल्य पर 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी तत्काल पूरी की जाने वाली गारंटी है। निश्चित रूप से यह बड़ी चुनौती है। लेकिन साय एक सुलझे हुए अनुभवी राजनेता हैं। उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री रहने का भी लाभ मिलेगा। फिलहाल सरकार गठन के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के 18 लाख मकान बनाने का निर्णय लिया जाएगा। इसके लिए बड़ी राशि की जरूरत होगी। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए प्रति आवास 1.20 लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान है। इस हिसाब से 18 लाख मकान बनाने के लिए 21,600 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। इसमें राज्य की 40 और केंद्र की 60 प्रतिशत राशि शामिल होती है। ऐसे में राज्य सरकार को आवास योजना के लिए 8,640 करोड़ रुपए की व्यवस्था करनी होगी। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस के दिन किसानों को दो साल के बकाया बोनस की राशि देने की भी घोषणा की गई है। इसके लिए करीब 900 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। साथ ही धान खरीदी के साथ बोनस की राशि एकमुश्त देने का भी वादा किया गया है। इसके लिए करीब 11 हजार करोड़ की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में मुख्यमंत्री को आर्थिक मोर्चे पर कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। उन्हें एक ऐसे वित्तमंत्री की जरूरत पड़ेगी, जो मितव्ययता को बढ़ावा दे सके। वैसे छत्तीसगढ़ का इतिहास देखें तो पहले वित्तमंत्री के रूप में रामचंद्र सिंहदेव के कार्यकाल को याद किया जाता है। उनके बाद डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में दो साल अमर अग्रवाल वित्त मंत्री रहे। फिर लगातार डॉ. रमन सिंह और भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री के साथ वित्तमंत्री का दायित्व निभाते रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगला वित्तमंत्री कौन होगा? फिलहाल भाजपा सरकार को अगले बजट के पहले करीब 20 हजार करोड़ रुपए जुटाने होंगे। यह कैसे होगा? यह अहम् सवाल है। आगामी 5-6 महीने के अंदर लोकसभा के चुनाव होने हैं। यह चुनाव मुख्यमंत्री के राजनीतिक कौशल की पहली परीक्षा होगी। ऐसे में चुनावी वादों को पूरा करना भाजपा सरकार की मजबूरी भी है। हमारा मानना है कि तत्कालिक चुनावी वादों को पूरा करने के लिए भाजपा सरकार केंद्र से विशेष पैकेज की मांग कर सकती है। यदि यह मांग पूरी होती है तो चुनावी वादे को पूरे करने में भाजपा सरकार को कम दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। बहरहाल, वादा किया है, तो निभाना पड़ेगा… की तर्ज पर भाजपा सरकार को अपने वादे निभाने होंगे…।