0 संजीव वर्मा
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के पहले चरण की अधिसूचना जारी हो गई है। दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा ने पहले चरण के लिए अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। भाजपा ने तो अधिसूचना जारी होने से पहले ही अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया था। इसी के साथ अब पहले चरण के चुनाव की गतिविधियां तेज हो गई है। साथ ही टिकट की दौड़ से बाहर होने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं में अब नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। उनके दर्दे दिल बयां करने की बारी आ गई है। दोनों दलों में यही स्थिति है। भाजपा में पार्टी के कार्यकर्ता प्रदेश कार्यालय के सामने जमा होकर नारेबाजी कर रहे हैं। भाजपा के पूर्व मंत्री गणेशराम भगत का वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें वे अपना दर्द बयां कर रहे हैं। इनके अलावा कई तरह की चर्चाएं राजनीतिक फिजां में गूंज रही है। टिकट बिकने से लेकर पैराशूट प्रत्याशी उतारे जाने की चर्चा कार्यकर्ताओं के बीच होने लगी है। दूसरी ओर कांग्रेस में भी कहीं-कहीं नाराजगी देखी जा रही है। हालांकि कांग्रेस में अभी 90 में से मात्र 30 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। पहले चरण में होने वाली 20 सीटों पर उम्मीदवारों का चयन उम्मीद के मुताबिक दिख रहा है। इनमें कांकेर, चित्रकूट और दंतेवाड़ा में नए चेहरे सामने लाए गए हैं। वहीं, अन्य सीटों में अंतागढ़ विधायक अनूप नाग और चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम की टिकट काट दी गई है। कांग्रेस ने बस्तर के 12 विधानसभा क्षेत्रों में से 7 पर वर्तमान विधायकों को फिर से मौका दिया है। उधर, अविभाजित राजनांदगांव जिले की 6 विधानसभा सीटों के लिए भी कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इसमें सबसे चौंकाने वाला नाम गिरीश देवांगन का रहा है। उन्हें राजनांदगांव सीट से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा गया है। डोंगरगढ़ और खुज्जी विधानसभा से भुवनेश्वर बघेल और छन्नी साहू को टिकट से वंचित कर दिया गया है। उनकी जगह जिला पंचायत सदस्य हर्षिता बघेल और भोलाराम साहू को टिकट दी गई है। जबकि दलेश्वर साहू और इंद्रशाह मंडावी दोबारा टिकट हासिल करने में सफल रहे हैं। दलेश्वर को डोंगरगांव और मंडावी को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित मोहला-मानपुर सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं, खैरागढ़ से मौजूदा विधायक यशोदा वर्मा टिकट हासिल करने में सफल रही है। वह पिछले साल हुए उपचुनाव में विधायक चुनीं गई थी। बहरहाल, अब पहले चरण के चुनाव के लिए दोनों दलों के योद्धा सामने आ गए हैं। देखना होगा कौन उन्नीस और कौन इक्कीस साबित होंगे। कांग्रेस की पहली सूची को देखने से लगता है कि उसने इसके लिए कड़ी मशक्कत की है। सूची को ठोंक बजाकर अंतिम रूप दिया गया है। पार्टी ने इस बात का भी ध्यान रखा कि कोई गुटबाजी न पनप पाए। यही वजह है कि पहली सूची जारी होने के बाद सभी बड़े नेता संतुष्ट दिखाई दिए। कहीं से कोई असंतोष के स्वर देखने को नहीं मिले। इस सूची में कांग्रेस ने सबसे चौंकाने वाला फैसला राजनांदगांव सीट पर लिया है। हालांकि यह उसकी रणनीति का भी हिस्सा हो सकता है। भाजपा इसे अलग नजरिए से देख रही है। भाजपा की राज्यसभा सांसद सरोज पांडे ने तो दावा कर दिया है कि डॉ. रमन सिंह प्रचंड मतों से जीतेंगे। कांग्रेस ने गिरीश देवांगन की राजनीतिक बलि ले ली है। खैर! यह सब राजनीतिक बयानबाजी है। हकीकत यह है कि कांग्रेस ने राजनांदगांव सीट को एक बार फिर हाई प्रोफाइल बना दिया है। पिछले चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला को यहां से टिकट देकर कांग्रेस ने मुकाबले को रोचक बना दिया था। इस बार भी इसी तरह की उम्मीदें जताई जा रही है। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस की पहली सूची भाजपा पर इक्कीस साबित होने वाली है। लेकिन सारा दारोमदार जनता पर निर्भर है। लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है। ऐसे में जनता ही तय करेगी कि कौन किस पर भारी है। कांग्रेस गांव-गरीब और किसान के मुद्दे के दम पर चुनावी फतह की तैयारी में है, तो भाजपा हिंदुत्व का कार्ड खेलना चाह रही है। लेकिन यह इतना आसान नहीं है। छत्तीसगढ़ में ‘हिंदुत्व’ कभी बड़ा मुद्दा नहीं रहा है। भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा हो सकता है। लेकिन ईडी-आईटी के ईर्द-गिर्द घूम रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे कितने असरदार होंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ की स्थिति है।