भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने अपनी नई टीम का ऐलान कर दिया है। खास बात यह है कि इस टीम में भाजपा ने छत्तीसगढ़ के तीन नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, राज्यसभा सांसद सरोज पांडे और पूर्व मंत्री लता उसेंडी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में नई रणनीति के साथ उतरने का अपना इरादा जाहिर कर दिया है। वहीं, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के भी संकेत दे दिए हैं। जारी सूची में 13 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, 8 राष्ट्रीय महासचिव, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री, सह संगठन महामंत्री, 13 राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवं सह कोषाध्यक्ष शामिल हैं। इन पदाधिकारी में 9 महिलाएं हैं। राष्ट्रीय महासचिवों में इस बार किसी महिला को स्थान नहीं मिला है, लेकिन 13 राष्ट्रीय उपाध्यक्षों में 5 और 13 राष्ट्रीय सचिवों में 4 महिलाएं शामिल हैं। नड्डा की इस टीम में मुस्लिम नामों की भी मौजूदगी है। पार्टी ने केरल से आने वाले अब्दुल्ला कुट्टी और उत्तर प्रदेश से तारिक मंसूर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर रखा है। सह संगठन महामंत्री पद पर शिव प्रकाश को लखनऊ भेजे जाने को बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इसे मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की दृष्टि से देखा जा रहा है। इस नई टीम में महत्वपूर्ण बात यह है कि पार्टी ने केरल से आने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेता ए के एंटोनी के पुत्र अनिल एंटोनी को राष्ट्रीय सचिव के पद पर नियुक्त किया है। इसके अपने मायने हैं। भाजपा दक्षिण भारत में पार्टी के विस्तार की कोशिशें में लगी हुई है। इस लिहाज से अनिल एंटोनी की नियुक्ति अहम साबित हो सकती है। वहीं, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुकी पंकजा मुंडे टीम में बरकरार हैं। उन्हें इस बार भी पार्टी ने राष्ट्रीय सचिव बनाया है। संभावनाएं हैं कि मुंडे को बनाए रखकर भाजपा उनकी नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया है। लगातार खबरें आ रही थी कि वह पार्टी से नाराज चल रही हैं। जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है तो श्री नड्डा ने तीन नेताओं को संगठन में पद देकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं। यह पहला मौका है जब भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सूची में छत्तीसगढ़ को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला है। आगामी विधानसभा चुनाव की दृष्टि से यह बेहद महत्वपूर्ण है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और राज्यसभा सांसद सरोज पांडे को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान मिलना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। लेकिन लता उसेंडी को सीधा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद देकर बस्तर और आदिवासी समाज को साधने का प्रयास किया गया है। चूंकि उसेंडी आदिवासी होने के साथ-साथ बस्तर क्षेत्र से आती हैं। इस क्षेत्र में 12 विधानसभा सीटें हैं जो फिलहाल कांग्रेस के पास है। भाजपा को वहां अपनी जमीन तैयार करने मशक्कत करनी पड़ रही है। यह क्षेत्र दोनों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न रहा है। कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ की सत्ता की चाबी बस्तर और सरगुजा क्षेत्र से होकर निकलती है। दोनों क्षेत्र आदिवासी बहुल है। ऐसे में दोनों पार्टियों की नजर आदिवासियों पर ही ज्यादा केंद्रित हैं। उसेंडी की नियुक्ति को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। वैसे भी आज बस्तर और सरगुजा दोनों क्षेत्र में भाजपा की हालत पतली है। वहां ऐसा कोई मजबूत नेता नहीं दिख रहा है जिनकी पूरे क्षेत्र में पकड़ हो। जहां तक सरगुजा का सवाल है तो केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह और राम विचार नेताम भले ही इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हों, लेकिन उनकी पकड़ अपने-अपने क्षेत्र तक ही सीमित है। उधर, बस्तर में भी इसी तरह की स्थिति हैं। 15 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा इन दोनों आदिवासी बहुत क्षेत्र, जहां से करीब 26 विधानसभा सीटें आती हैं कोई मजबूत आधार खड़ा नहीं कर पाई है। आज इन दोनों क्षेत्र से भाजपा का एक भी विधायक नहीं है। ऐसे में उसकी क्षेत्र में क्या स्थिति है यह समझा जा सकता है। बस्तर में सांसद मोहन मंडावी और केदार कश्यप के अलावा कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आता है। यही वजह है कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने उसेंडी का न केवल कद बढ़ाया बल्कि डॉक्टर रमन सिंह और सरोज पांडे के बराबर लाकर खड़ा कर दिया है। पहली नियुक्ति सचिव के रूप में भी हो सकती थी, लेकिन उन्हें उपाध्यक्ष का पद देकर सबको चौंकाया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नंद कुमार साय का भाजपा छोड़ने और कांग्रेस में शामिल होने के बाद भाजपा पर आदिवासियों की उपेक्षा करने का आरोप लगता रहा है। ऐसे में भाजपा ने लता उसेंडी पर विश्वास कर उन्हें संगठन में बड़ा पद देकर आदिवासी समाज में यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह इस वर्ग के साथ-साथ महिलाओं को भी उचित सम्मान दे रही है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो बस्तर में मंत्री मोहन मरकाम, कवासी लखमा और विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम जैसे मजबूत जनाधार वाले नेता हैं। साथ ही सांसद और अभी हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए युवा चेहरा दीपक बैज भाजपा पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। बहरहाल, भाजपा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के जरिए एक चुनावी चक्रव्यूह तैयार किया है। साथ ही यह बताने का प्रयास किया है कि छत्तीसगढ़ उसकी प्राथमिकता में है और वह इसे गंभीरता से ले रही है। अब यह देखना होगा कि भाजपा की इस कवायद का उसे आगामी विधानसभा चुनाव में कितना लाभ मिलता है।
आपकी बात: नड्डा की नई टीम और चुनावी चक्रव्यूह
