0 संजीव वर्मा
देश में एक बार फिर कोरोना महामारी की आहट सुनाई दे रही है। कोरोना से हर रोज 5 से 6 हजार लोग संक्रमित हो रहे हैं। मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। इस बीच, केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर सख्ती बरतने को कहा है। राज्य सरकारों की तरफ से सख्ती का ऐलान भी होने लगा है। हरियाणा, केरल और पुडुचेरी ने सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया है। जबकि अन्य प्रदेशों में भी दिशा-निर्देश जारी कर आम जनता को सावधान रहने की हिदायत दी जा रही है। वहीं पिछले दो दिनों तक देशभर के अस्पतालों में तैयारियों का जायजा लेने के लिए मॉक ड्रिल किया गया। इस दौरान सरकारी और निजी दोनों प्रकार के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया गया। जिसमें ऑक्सीजन आपूर्ति, बिस्तरों की संख्या, आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता और मरीजों की अस्पताल तक आसानी से पहुंच को परखा गया। छत्तीसगढ़ में भी कोरोना तेजी से बढ़ रहा है। पिछले सप्ताह भर में सक्रिय मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जो चिंता का विषय है। हालांकि राज्य सरकार सतर्क है। मॉक ड्रिल के जरिए तैयारियों का जायजा लिया गया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच अधिकारियों को पूरी तैयारी रखने के निर्देश दिए। वहीं, जिलों में कलेक्टरों द्वारा भी लगातार समीक्षा बैठकें की जा रही है। बहरहाल, कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकना आज सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि विशेषज्ञ इस बार इसे कम घातक मान रहे हैं, लेकिन जिस रफ्तार से संक्रमण बढ़ रहा है वह चिंताजनक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा है कि लोगों में कोरोना संबंधी प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण नई लहर का खतरा मंडरा रहा है। इससे निपटने के लिए सतत निगरानी के अलावा वैक्सीन की पहुंच बढ़ाने की जरूरत है। खेत्रपाल का बयान उस समय आया है जब भारत में कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। ऐसी तेजी वर्ष 2022 की शुरुआत में ओमिक्रॉन लहर के दौरान देखी गई थी। ऐसे में वर्तमान संक्रमण के वायरस को ट्रैक करने की क्षमता को मजबूत करने और स्वास्थ्य प्रणालियों में किसी भी तरह की कमी को तत्काल दूर करने की जरूरत है। जहां कोरोना संक्रमण की दर अधिक है वहां टीकाकरण और बूस्टर डोज उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगी। हालांकि हमारे देश में बड़ी संख्या में लोगों का टीकाकरण हो चुका है। लेकिन समय के साथ टीके का असर भी कम हो जाता है। इसलिए बूस्टर डोज की जरूरत बढ़ जाती है। खासकर ऐसे लोगों में जो गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। इसके अलावा सभी को सतर्कता बरतने की जरूरत है। अगर कोई भी लक्षण दिखे तो तत्काल एकांतवास पर जाएं। जहां तक बच्चों और किशोरों के टीकाकरण की बात है तो इनमें संक्रमण का खतरा कम होता है। हालांकि ऐसे बच्चे जो मोटापे के शिकार हैं, उन्हें अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। पिछली बार देश में कोरोना महामारी ने लाखों लोगों की जिंदगियां छीन ली थी। साथ ही इसके साइड इफेक्ट भी देखें गए। कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस और येलो फंगस जैसी कई अन्य संक्रामक बीमारियां जकड़ने लगी थी। कई लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी है, तो कई लोगों को अन्य तरह की शारीरिक अपंगता झेलनी पड़ी थी। पिछले सप्ताह भर की बात करें तो देश में सक्रिय मामलों की संख्या 35 हजार को पार कर गई है। हालांकि इस समय लोग कोरोना संक्रमित होने के बाद तेजी से रिकवर भी हो रहे हैं, जो सरकार व चिकित्सकों के लिए राहत भरी खबर है, लेकिन पिछले अनुभवों को देखते हुए बचाव का सख्ती से पालन होना जरूरी है। कहा जाता है कि सावधानी ही बचाव का उत्तम उपाय है, लिहाजा लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। लोगों में भय व्याप्त हो उसके पहले ही उस पर प्रभावी ढंग से नियंत्रण के उपाय होने चाहिए। पिछली बार देश के प्राय: सभी राज्यों में लॉकडाउन की स्थिति बनी थी। ऐसी स्थिति अब ना आए, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए। अस्पतालों में ऑक्सीजन, दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। जिस तरह से पहली और दूसरी लहर में ऑक्सीजन नहीं मिलने और दवाइयों के अभाव में हजारों लोगों की मौत हुई थी और देश में चिकित्सा को लेकर जिस तरह से अफरा-तफरी का माहौल देखा गया था, उसके पहले किसी ने शायद ही कल्पना की होगी। 21वीं सदी के विकासशील भारत में ऑक्सीजन के अभाव में मरते लोगों को देखना हर किसी की रूह कांप गई थी। लेकिन सरकारी तंत्र हाथ पर हाथ धरे किंकर्तव्यविमूढ़ बनकर बैठा रहा। राजनेता एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे और अस्पतालों में लोग बेमौत मरते रहे। ऐसी स्थिति दोबारा ना आएं, ऐसी व्यवस्था पहले से की जानी चाहिए।