रेणुका का घर बसा अाैर पूजा को मिला उसका हक

0 कोरोनाकाल में घर बैठे मिला न्याय, ई-लोक अदालत में 99 फीसद प्रकरणों का निराकरण

राजनांदगांव| छत्तीसगढ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा शनिवार को देश की पहली ई-लोक अदालत जिला न्यायालय परिसर में लगायी गई जिसमें लंबे समय से लंबित में से 99 प्रतिशत से भी अधिक प्रकरणाें का ऑनलाइन माध्यम से निराकरण किया गया। डेढ़ साै मामलाें का अानलाइन निराकरण किया गया। ई-लोक अदालत में घरेलू मामले भी सुलझे। 2018 के रेणुका विरूद्ध गुलाब सोनी प्रकरण में गुलाब बिना किसी सूचना के रेणुका को छोड़कर चला गया था। गुलाब के जाने के बाद आवेदिका द्वारा 2019 में भरण-पोषण याचिका प्रस्तुत की गई जिसमें काउंसलिंग के बाद कुछ समय के लिए दोनों को साथ रहने की सलाह दी गई। न्यायालय की सलाह पर दोनाें साथ रहें। वर्तमान में सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं।राजीनामा के आधार पर आज प्रकरण समाप्त किया गया है। पूजा साहू विरूद्ध कमलेश गंजीर प्रकरण में अनावेदक ने आवेदिका को अपने बच्ची सहित वर्ष 2017 में घर से निकाल दिया था। वर्ष 2020 में भरण-पोषण आवेदन पेश कांउसलिंग उपरांत अनोवदक ने आवेदिका को एक मुश्त भरण-पोषण राशि देकर विशेष ई-लोक अदालत में समझौता कर प्रकरण राजीनामा से समाप्त कर दिया गया। इसी तरह पूर्णिमा विरूद्ध प्यारेलाल, का प्रकरण 2013 से चल रहा था। जाे फरवरी 2019 से वसूली के लिए लंबित था। काउंसलिग में राजीनामा कर उभयपक्ष साथ रह रहे हैं। ई-लोक अदालत में समझौता कर प्रकरण राजीनामा से समाप्त कर दिया गया।

पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में आ गया है। कोरोना से बचने के लिए शारीरिक दूरी का पालन करना बहुत जरूरी है। इसलिए ही इस संकट की घड़ी में जरूरतमंद लोगाें तक न्याय पहुंचाने का तरीका बदलते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संपूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में ई-लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें घर बैठे लोगों को न्याय मिला।

0 घर बैठे मिला न्याय

ई-लोक अदालत की विशेषता यह रही कि लोक अदालत में किसी भी पक्षकार या अधिवक्ता को भौतिक रूप से न्यायालय परिसर में उपस्थित नहीं होना पड़ा आैर उनके घर बैठे ही उनको न्याय मिल गया। लोक अदालत के माध्यम से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव द्वारा न्यायाधीश की खण्डपीठाें का गठन किया गया था। जिनकी ऑनलाइन लिंक जिला एवं सत्र न्यायालय के वेब साइट पर अपलोड की गई। पक्षकाराें व अधिवक्ताआें को ऑनलाइन के माध्यम से न्यायालय से संपर्क करने की तकनीक पैरालीगल वालिंटियर्स के माध्यम से सिखायी गयी। प्राधिकरण द्वारा संपूर्ण जिले में 35 से अधिक पैरालीगल वालिंटियर्स की टीम गठित की गई। जिन्होनें व्हाट्पस के माध्यम से पक्षकार तथा अधिवक्तागण को सारी जानकारी उपलब्ध करायी गयी जिससे किसी भी व्यक्ति को असुविधा न हो सके। ई-लोक अदालत के माध्यम से न्यायाधीशाें ने पक्षकार तथा अधिवक्तागण से ऑनलाइन सीधा संपर्क किया आैर उनके द्वारा सहमति दिये जाने पर ही प्रकरण का निराकरण सुनिश्चित किया गया।

0 150 प्रकरणों का निराकरण

ई-लोक अदालत के माध्यम से पूरे जिले में 150 प्रकरण का निराकरण हुआ जिसमें क्लेम प्रकरण, पारिवारिक विवाद, चेक बांउस के मामले तथा शमनीय प्रकृति के मामलाें का निराकरण हुआ है। भोजन को लेकर थाना डाेंगरगांव में मां-बेटे मे हुए विवाद को राजीनामा के आधार पर निराकृत किया गया उक्त प्रकरण में बुढ़ी मां द्वारा बेटे को भोजन देने में देर होने के कारण बेटे ने अपनी मां को मार दिया था जिसकी रिपोर्ट मां ने थाने में लिखा दी थी। मजिस्ट्रेट द्वारा बेटे तथा मां को समझाये जाने पर बेटे ने ऑनलाइन माध्यम से मां से माफी मांगी आैर भविष्य में पुनरावृत्ति करने की कसम खायी। कुटुम्ब न्यायालय में पारिवारिक विवाद के तीन मामले सुलझे हैं।

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