राजनांदगांव/ चार मालगाड़ियां जोड़कर सूपर पायथन ट्रेन, 130 की गति से गाड़ियों के ट्रायल के बाद रेलवे ने देश का सबसे ताकतवर रेल इंजन चलाया। देश में ही बने अब तक के सर्वाधिक शक्तिशाली 12 हजार एचपी क्षमता के मालवाहक रेल इंजन का पहली बार दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन में वाणिज्यिक परिवहन शुरु हुआ है। यह नागपुर मंडल के ईतवारी स्टेशन से रवाना होकर भिलाई रेलवे स्टेशन पहुंचा। यह लाईट इंजन ईतवारी से कोराडी साईड्रिग से मालगाडी एन बाक्स लेकर रवाना हुआ था। खास बात यह है कि 12 हजार अश्व शक्ति वाले इस लोकोमोटिव इंजन का उपयोग मालगाडियों के संचालन के लिए होगा। इसे मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत इलेक्ट्रिक, लोकोमोटिव फैक्ट्री और एक अन्य निजी कंपनी के संयुक्त प्रयास से तैयार किया गया है। इसे बनाने के साथ ही 10 हजार हार्सपावर वाले इंजन उत्पादन की तकनीक वाला दुनिया का छठा देश बन गया है। इस इंजन की मालवाहक क्षमता डब्लू ए जी 9 से दोगुना है। इसकी सामान्य गति भी 100 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसे 120 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार से भी चलाया जा सकता है। लोकोमोटिव एक तीन फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव है। इसकी लंबाई 35 मीटर है। इसमें एक हजार लीटर हाई कंप्रेसर कैपेसिटी के 2 टैंक है।
0 चलाई की सबसे तेज गति की मालगाड़ी
इसके पहले नागपूर से दुर्ग तक 24 एल एच बी कोच वाली 130 किमी प्रतिघंटा की गति से चलाकर स्पीड का ट्रायल किया गया था। यह गाड़ी के चलने से नागपुर से राजनांदगांव पहुंचने में एक घंटे का समय बचेगा।
0 सूपर पायथन ने रचा इतिहास
चार मालगाड़ियों को एक साथ जोड़कर जिसमें 236 वैगन, 04 ब्रेक वन व 09 विद्युत लोको के साथ भारतीय रेलवे में पहली बार नागपूर मण्डल द्वारा परमालकसा स्टेशन से दुर्ग तक चलाई गई थी। यह माल गाड़ी 63 किमीप्रघं की गति से 45 मिनट में परमलकसा से दुर्ग पहुंची थी, जब की औसतन खाली माल की गति 25-30 किलोमीटर है। अधिक उतार चढ़ाव एवं विषम परिस्थिति वाले रेलवे ट्रैक, ग्रेडीयंत को पार करते हुए यह सुपर पायथन जिसकी 2.8 किलोमीटर लंबाई है इसे नागपुर मण्डल द्वारा सफलता पूर्वक परिचालन किया गया। इस प्रकार की माल गाड़ी के खाली रेक को भारतीय रेलवे में सबसे पहले चलाने की उपलब्धि भी हासिल की थी।
0 चलाई की सबसे तेज गति की मालगाड़ी
इसके पहले नागपूर से दुर्ग तक 24 एल एच बी कोच वाली 130 किमी प्रतिघंटा की गति से चलाकर स्पीड का ट्रायल किया गया था। यह गाड़ी के चलने से नागपुर से राजनांदगांव पहुंचने में एक घंटे का समय बचेगा।
0 सूपर पायथन ने रचा इतिहास
चार मालगाड़ियों को एक साथ जोड़कर जिसमें 236 वैगन, 04 ब्रेक वन व 09 विद्युत लोको के साथ भारतीय रेलवे में पहली बार नागपूर मण्डल द्वारा परमालकसा स्टेशन से दुर्ग तक चलाई गई थी। यह माल गाड़ी 63 किमीप्रघं की गति से 45 मिनट में परमलकसा से दुर्ग पहुंची थी, जब की औसतन खाली माल की गति 25-30 किलोमीटर है। अधिक उतार चढ़ाव एवं विषम परिस्थिति वाले रेलवे ट्रैक, ग्रेडीयंत को पार करते हुए यह सुपर पायथन जिसकी 2.8 किलोमीटर लंबाई है इसे नागपुर मण्डल द्वारा सफलता पूर्वक परिचालन किया गया। इस प्रकार की माल गाड़ी के खाली रेक को भारतीय रेलवे में सबसे पहले चलाने की उपलब्धि भी हासिल की थी।