रामनाथ यादव ने बताया कि वह कक्षा दूसरी में पढ़ रहा था, तभी पिता जी ने गरीबी के कारण पेट पालने के लिए दूसरे के घर में गाय चराने हेतु नौकर लगा दिया, उसके बाद वह अन्य घर में कम मजदूरी में गाय चराने लगा तथा लगभग 15 वर्ष चरवाहा का काम करने के बाद दूसरे के द्वारा दिये गये दो देशी गाय से गौ-पालन प्रारंभ किया। देशी गाय में कृत्रिम गर्भाधान से उन्नत नस्ल के मादा वत्स पैदा हुई, बड़ी होने के बाद उन्हें भी कृत्रिम गर्भाधान कराया गया, धीरे-धीरे उन्नत नस्ल के बछिया-बछड़ों की संख्या बढ़ती गई, जो बड़े होकर गाय एवं बैल बने। बैल को विक्रय किया गया तथा गाय के 2 लीटर दूध को बेचने के साथ ही दुग्ध व्यवसाय का कार्य प्रारंभ किया गया। वर्तमान में उनके द्वारा 45 लीटर दूध का विक्रय किया जा रहा है। रामनाथ यादव ने कहा कि आज मेरे पास लगभग 5 लाख रूपये की 22 पशुधन हैं, जिसमें 2 गाय एच.एफ. नस्ल, 2 गाय गिर नस्ल, 4 गाय शाहीवाल नस्ल और 4 गाय जर्सी नस्ल के हैं, इसके अलावा 6 उन्नत नस्ल के बछिया और 4 बछड़ा हैं, जिसे जोड़ी बनाकर बेचने से अतिरिक्त आमदनी होगी। उन्होंने कहा कि गौपालन के कार्य में पशुधन विकास विभाग द्वारा समय-समय मार्गदर्शन एवं सहयोग दिया जाता है।

रामनाथ यादव ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शुरू की गई ‘गोधन न्याय योजनांतर्गत गांव के गौठान में प्रतिदिन लगभग 150 किलोग्राम गोबर का विक्रय कर रहा हॅू, जिससे 300 रूपये की प्रतिदिन की आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व गोबर को गांव के किसानों को बेच देता था, लेकिन अब इसे गौठान में बेच रहा हॅू। दुग्ध व्यवसाय के संबंध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान में चारामा के होटल और घर-घर पहुंच कर प्रतिदिन 45 लीटर दूध 40 रूपये की दर से विक्रय कर रहा हूॅ। इस व्यवसाय से मैं और मेरा परिवार खुशहाल हैं।