भाटापारा। साधना शक्ति पीठ समिति हिंद नगर रिसाली भिलाई दुर्ग के द्वारा बलौदा बाजार के समीप सोनपुरी में आत्मिक दर्शन विश्व शांति के लिए 10 करोड़ पार्थिव शिवलिंग का महा रुद्राभिषेक कार्यक्रम घोर अघोर अवधूत भगवान जी के सानिध्य में बड़े ही भक्ति भाव उत्साह उमंग के साथ किया जा रहा है काफी बड़ी संख्या में लोग यहां पर रोजाना पहुंच रहे हैं और पूजा पाठ हवन रुद्राभिषेक कार्यक्रम में शामिल होकर घोर अघोर अवधूत भगवान जी का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। 9 फरवरी से 18 फरवरी तक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें चौबीसों घंटे अखंड रुद्राभिषेक का कार्यक्रम भी चल रहा है 1100 वैदिक ब्राह्मणों के द्वारा कार्यक्रम को संपन्न कराया जा रहा है। आज 18 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन विशेष कार्यक्रम का आयोजन है रात में 8:00 से 12:00 तक भव्य कार्यक्रम आयोजित है इस मामले में हो घोर अघोर अवधूत भगवान जी ने चर्चा करते हुए बताया कि 10 करोड़ पार्थिव शिवलिंग का अखंड महा रुद्राभिषेक कराया जा रहा है जो 24 घंटा चलता है। घोर अघोर अवधूत भगवान जी ने बातचीत करते हुए बताया कि विश्व में सभी लोगों का कल्याण हो इसीलिए इसका नाम कल्याण महायज्ञ रखा गया है उन्होंने कहा कि जो चेतना हमारे शरीर में रहती है उसी के अनुरूप हमारी उर्जा काम करना शुरू कर देती है इसीलिए 10 करोड़ पार्थिव शिवलिंग के माध्यम से लोगों में एक ऊर्जा लाने के लिए यह आयोजन किया गया है महाशिवरात्रि के दिन इस महायज्ञ की पूर्णाहुति होगी उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव स्वयं धरती पर आते हैं और पूरे संसार को देखते हैं जब वह यह देखेंगे कि यहां उनके भक्त 10 करोड़ पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना कर रहे हैं तो वह भक्तों पर प्रसन्न हो जाएंगे और उन्हें सद मार्ग पर चलने के लिए अपना आशीर्वाद प्रदान करेंगे उन्होंने विश्व के सभी लोगों के लिए कल्याण की मंगल कामना के साथ यह कल्याण महायज्ञ का आयोजन किया है। बाबा जी ने कहा कि पार्थिव शिवलिंग का अपना महत्व होता है उन्होंने कहा कि पार्थिव शिवलिंग मिट्टी के शिवलिंग को कहा जाता है कलयुग में मिट्टी के बने पार्थिव शिवलिंग के पूजन का अपना विशेष और अलग महत्व है उन्होंने बताया कि पार्थिव शिवलिंग की ऊंचाई 12 अंगूर से अधिक नहीं होनी चाहिए। महाराज जी ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि सभी देवी देवताओं की साकार रूप में पूजा होती है लेकिन एक अकेले भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं इनकी पूजा साकार और निराकार दोनों रूप में होती है साकार रूप में भगवान शिव मनुष्य रूप में हाथ में त्रिशूल और डमरु लिए बाघ की छाल पहने नंदी की सवारी करते हुए नजर आते हैं जबकि निराकार के रूप में उनकी पूजा शिवलिंग के रूप में होती है जिसका कोई आकार नहीं होता है शिव महापुराण के अनुसार साकार और निराकार दोनों रूप में महादेव की पूजा फलदाई होती है। इतना बड़ा भव्य आयोजन विश्व मे पहली बार हो रहा है। यहां पर काफी बड़ी संख्या में नागा साधु बाबा मौजूद हैं।