बोरवाय में त्रि दिवसीय श्री रामचरित मानस गान प्रतियोगिता सम्पन्न; अतिथियों ने कहा- भगवान श्रीराम की महिमा से कोई भी भारतीय अछूता नहीं

 

पाटन। त्रि दिवसीय श्री रामचरित मानस गान प्रतियोगिता एवं माघ पूर्णिमा मेला का  कल अयोध्या धाम, राधा कृष्णा मंदिर स्थली ग्राम बोरवाय में  समापन हुआ।  पुरुष वर्ग में प्रथम स्थान विनय मानस परिवार भिम्भोरी, द्वितीय ग्राम रामाटोला राजनांदगांव, तीसरा पुरुस्कार ग्राम बीजा बैरागी, चतुर्थ पुरुस्कार ग्राम आमदी धमतरी, पंचम पुरुस्कार अहिवार नगर के मंडली को प्राप्त हुआ। महिला वर्ग में प्रथम स्थान नहर खपरी, द्वितीय अवरा डबरी, तृतीय पचपेड़ी, चतुर्थ तमोरा, पंचम थनौद को प्राप्त हुआ।

तीन दिवसीय मानस गान प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका का निर्वहन कर रहे चंपालाल साहू ने समापन दिवस के अवसर पर कहा कि- रामचरितमानस न केवल तुलसीदास के बारह प्रामाणिक ग्रंथों में सर्वश्रेष्ठ है, वरन् समग्र हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ गौरव ग्रंथ है। इसे भारतीय संस्कृति का विश्वकोश कहा जाता है। इस ग्रंथ का साहित्य, दर्शन, आचारशास्त्र, शिक्षा, समाज-सुधार, साहित्यिक, मनोरंजन आदि कई दृष्टियों से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रभु श्री राम जी के चरित्र से हमें सीख मिलती है कि जीवन को सादगी सा जीना, सिर्फ एक ही पत्नी को सब कुछ मान कर जीवनयापन करना, गलत आचरण ना रखना और सभी की मदद करना और अगर आप राजनीति में आ जाते हो तो सिर्फ प्रजा की बात सुनना और मर्यादा का पालन करना ही एक राजा का मूल कर्तव्य और धर्म है। हर वर्ष की तरह जब भी मैं आपके ग्राम बोरवाय में आता हूँ। आप सबका मेरे प्रति प्रेम अपनापन ही मेरे जीवन की अमूल्य निधि है। सदैव आप सबका प्रेम ऐसे ही बना रहे, प्रभु राम से आप सबकी मंगलमय जीवन की कामना करता हूँ।

समापन समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रतिनिधि के रूप में अश्वनी साहू अध्यक्ष कृषि उपज मंडी दुर्ग एवं क्षेत्र के ऊर्जावान एवं कर्मठ एवं उदार व्यक्तित्त्व के धनी जिला पंचायत सदस्य एवं दुर्ग जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अशोक साहू  मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता रूपचंद साहू सभापति जनपद पंचायत पाटन एवं विशेष अतिथि के रूप में रूपेंद्र शुक्ला अध्यक्ष सेवा सहकारी समिति एवं अध्यक्ष महाविद्यालय जनभागीदारी प्रबन्धन समिति जामगांव आर, उमाकान्त चन्द्राकर उपाध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग ग्रामीण, जय प्रकाश चन्द्राकर पूर्व जिला पंचायत सदस्य, उद्घोषक एवं निर्णायक चंपालाल साहू, दाऊ रामगोपाल चन्द्राकर, भेष कुमार आठे जोन प्रभारी दक्षिण पाटन कांग्रेस, भूषण साहू सरपंच ग्राम पंचायत बोरवाय, पवन कुमार डहरे सेक्टर प्रभारी, रूखमणि चन्द्राकर पूर्व सरपंच ग्राम पंचायत बोरवाय, नाथू राम बारले, के आतिथ्य में संपन्न हुआ।

क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य एवं दुर्ग जिला पंचायत के उपाध्यक्ष  अशोक साहू ने मानस की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि अगर व्यक्ति रामचरितमानस का रसपान करेगा तो महापुरुष बन सकता है। और दिल से कोई भी व्यक्ति मानस का श्रवण करेगा तो महादेव तो नहीं पर पुरुष उत्तम महापुरुष बन सकता हैz इसलिए रामचरित मानस का श्रवण करें। श्री साहू ने भगवान राम के मर्यादा में रहते हुए चार विवाह के बारे में बताया कि पहला विवाह पुष्प वाटिका में गंधर्व विवाह, दूसरा प्रण विवाह, तीसरा पाणिग्रहण संस्कार, चौथा स्वयंवर विवाह। श्री साहू ने कहा कि कोई भी मनुष्य मानस पान करने से महापुरुष बन सकता हैं।उपाध्यक्ष श्री साहू ने आगे प्रभु श्री राम के जीवन दर्शन को विस्तार से बताते हुए कहा कि राम नाम की महत्ता का उदाहरण अजामिल उद्धार से बड़ा शायद ही कोई हो सकता है, जिसने अपने जीवन में कभी भी स्वेच्छा व श्रद्धा से नारायण का नाम नहीं लिया, अपितु पुत्र मोह के चलते हर समय अपने बेटे नारायण को ही पुकारता रहा। फलस्वरूप अंत समय में उसके आखिरकार उद्धार के लिए जगपालक प्रभु नारायण को उसके समक्ष उपस्थित होना पड़ा।

कृषि उपज मंडी दुर्ग के अध्यक्ष, प्रभु सियाराम भक्त, व मानस मर्मज्ञ  अश्वनी साहू ने कहा कि- ग्राम बोरवाय में त्रि दिवसीय श्री रामचरित मानस गान के अनवरत 26 वर्ष की परंपरा का निर्वाह बड़ी ही श्रद्धा, निष्ठा एवं लगन का द्योतक है। श्रीराम की महिमा से कोई भी भारतीय अछूता नहीं है। गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचरित मानस की रचना करके समाज को ही एक आदर्श जीवन जीने की आचार संहिता से जोड़ दिया है। अध्यक्ष श्री साहू ने मानस की महिमा और उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कलियुग अशांति का युग है। जैसा कि गोस्वामी जी ने लिखा- तामस बहुत रजोगुण थोरा, कलि प्रभाव विरोध चहुं ओरा। अशांति के इस युग में विश्व शांति की व्यवस्था लाने का एक मात्र उपाय यही है कि रामचरित मानस, रामचरित मानस में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्श को पढ़कर हमें उनके चरित्र को जीवन में उतारना चाहिए। श्री रामचरित मानस विश्व का अद्वितीय ग्रंथ है। भाई-भाई का प्रेम यदि देखना है तो राम और भरत का चरित्र पढ़ना होगा। श्री साहू ने कहा कि आज के समय में समाज में कन्या की नहीं कन्हैया की लालसा हो गई है। अगर इसी तरह चलता रहा तो अभी तो कुछ घरों से महान पर्व रक्षाबंधन गायब हो गया है, आगे आने वाले समय में भारत से रक्षाबंधन समाप्त हो जाएगा, केवल नाम रह जाएगा। इसलिए बेटी को पहचानो, बेटी की रक्षा करो, बेटी ही है जो सबका ध्यान रखती है। बेटी माता-पिता तथा भाइयों के उज्जवल भविष्य की कामना करती है। बेटी दो कुलों को पवित्र करती है। इसके साथ ही उन्होंने मां सीता के चरित्र का सुंदर वर्णन किया।

दुर्ग जिला कांग्रेस महामंत्री, जामगांव आर महाविद्यालय एवं सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष  रूपेंद्र शुक्ला ने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने शील से अयोध्यावासियों का दिल जीता। बल से लंका में विजय का डंका बजाया और रूप से मिथलावासियों पर अधिकार जमाया। ऐसे सुंदर रूपवान मर्यादा पुरुषोत्तम का अद्भुत चित्रण किया। उन्होंने बताया कि निर्मल मन करके भक्ति से नाता जोड़ के आप सभी तरह के सांसारिक सुख पा सकते हैं। भक्ति के रस में डूब कर आप भी पा सकते हैं जो अयोध्या औऱ मिथलावासियों ने पाया।

जनपद पंचायत पाटन के सभापति रूपचन्द साहू ने भगवान के नाम की महत्ता के बारे में बताते हुए कहा कि चर-अचर जीवन में नाम का अपना महत्व है। उदाहरण स्वरूप उन्होंने श्रोताओं को बताया कि किस प्रकार भगवान शिव ने अपने हृदय में राम नाम को रखकर समुद्र मंथन में निकला विनाशक विष का हर कर लिया। श्री साहू ने माता सती का वर्णन करते हुए कहा कि पति की आज्ञा की अवहेलना की कीमत सती को भोगना पड़ा। मार्मिक चित्रण का वर्णन कर उपस्थित सभी ग्रामवासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

भगवद भक्ति की चर्चा करते हुए संचालक योगेश चन्द्राकर ने कहा कि श्री रामचरित मानस दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथों में से एक है। मानस में लिखे दोहा व चौपाइयां आज भी हर प्रकार से प्रासंगिक हैं। जैसा अध्ययन वैसा ज्ञान, विविध रूपों में समाहित है। भगवद भक्ति ही मोक्ष का सर्वोत्तम साधन है। इससे भव सागर मानव पार उतर सकता है। उन्होंने कहा कि हनुमान जी की भक्ति की पराकाष्ठा ही है कि स्वयं प्रभु राम को हनुमान जी के हृदय में वास करना पड़ा। सदैव भक्त, भक्ति का स्थान भगवान से ऊपर होता है। एवं मानस कथा के अंत में श्रीराम चरित मानस की आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।

इस अवसर पर समिति के प्रबंधक दाऊ रामगोपाल चन्द्राकर, अनिल चन्द्राकर, निर्देशक, संचालक योगेश चन्द्राकर, अध्यक्ष संतोष चन्द्राकर, दीनदयाल विश्वकर्मा, कोषाध्यक्ष ईश्वर चन्द्राकर अर्जुन सिंह चन्द्राकर, सचिव चन्द्रशेखर देवांगन, उपाध्यक्ष युवराज चन्द्राकर, समिति के सदस्य गणों में पोषण चन्द्राकर, भेल चन्द्राकर शिक्षक, बेनु राम कामरे, खिलेश साहू, गोविंद चन्द्राकर, सेवक साहू, योगेश साहू, गीतेश्वर देवांगन, हेमंत साहू, गन्नू साहू, रोहित ठाकुर, देवेंद्र चन्द्राकर, डेरहा साहू, दयाराम चन्द्राकर, रोहित चन्द्राकर, राजा चन्द्राकर, संतोष चन्द्राकर, रमन चंद्राकर, गिरधर धरमगुड़ी, अरुण तिवारी, दयालु साहू पोखु राम साहू, दुर्गा यादव, श्रवण चन्द्राकर, जीवन ठाकुर, लेकेश्वर साहू, हरि लाल साहू, खिलेश्वर कामरे सौरभ कामरे, सती यादव, ईश्वरी साहू, रूखमणी चन्द्राकर, गिरिजा चन्द्राकर, रंजू यादव, दामनी साहू, चुनेश साहू, राजू साहू, राजू चन्द्राकर, बीरेंद्र साहू, शेषु ठाकुर, भूषण साहू, विक्रम जोशी, सहित समिति के सदस्य गण मुख्य रूप से उपस्थित रहे।