आपकी बात: मर्यादा की सीमा रेखा लांघते राजनेता

O संजीव वर्मा 
        देश में इन दिनों राजनीतिक नेताओं में एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ लगी हुई है। अपने-अपने फायदे के लिए राजनेता मर्यादा की सीमाएं लांघने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। हद तो तब हो जाती है जब संवैधानिक पद में बैठा हुआ व्यक्ति भी ऐसा कुछ बोल जाता है, जो उचित नहीं है। हमेशा ही सबको याद रखना चाहिए कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब विचारों की  मनमानी का लाइसेंस मिल जाना नहीं होता है। हमें जो आजादी मिली है उसके साथ मर्यादा और संयम भी जुड़ा हुआ है।अभी हाल ही में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत-जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र में विनायक दामोदर सावरकर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सावरकर ने अंग्रेजों की मदद की थी। जेल में यातना से बचने के लिए उन्होंने माफीनामा लिखा और महात्मा गांधी तथा अन्य तत्कालीन नेताओं के साथ धोखा किया। राहुल की इस टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र सहित देश की राजनीति में भूचाल आ गया। हालांकि राहुल गांधी ने अपनी तरफ से यह नहीं कहा था बल्कि एक दस्तावेज था उसे प्रस्तुत किया था।भाजपा और शिवसेना के छोटे-बड़े से लेकर शीर्ष नेता टूट पड़े और राहुल के पीछे पड़ गए। अभी इसकी आंच कम भी नहीं हुई थी कि भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर विवादित बयान देकर राजनीतिक के साथ-साथ सामाजिक पारा  भी चढ़ा दिया है। सुधांशु त्रिवेदी ने अपने बयान में कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब को पांच बार पत्र लिखकर माफी मांगी थी। त्रिवेदी के इस बयान के बाद महाराष्ट्र में बवाल मचा हुआ है। उन्होंने यह बयान एक निजी चैनल के डिबेट शो में बातचीत के दौरान दिया है। फिलहाल यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और सुधांशु त्रिवेदी की जमकर आलोचना हो रही है। इससे एक दिन पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर अजीबोगरीब बयान दिया था। कोश्यारी ने कहा था कि अगर आपसे कोई पूछता है कि आपका आदर्श कौन हैं? तो आपको उसे ढूंढने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं है। वे आपको यहीं महाराष्ट्र में मिल जाएंगे। छत्रपति शिवाजी महाराज अब एक  पुराने आदर्श बन गए हैं। आप बाबा साहेब अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी को नए आदर्श बना सकते हैं। राज्यपाल का यह बयान समझ से परे है। संवैधानिक पद में रहने वाले व्यक्ति से इस तरह के बयान की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। किसी का आदर्श कोई भी हो सकता है। फिर छत्रपति शिवाजी महाराज तो महाराष्ट्र ही नहीं पूरे हिन्दुस्तान के आदर्श हैं। ऐसे में इस तरह की टिप्पणी उचित नहीं कही जा सकती है। इससे एक कदम आगे बढ़कर सुधांशु त्रिवेदी ने तो हद ही पार कर दी। भाजपा ने इन बयानों पर चुप्पी साध ली है। जबकि शिवसेना ने भाजपा और शिवसेना के शिंदे गुट पर जमकर निशाना साधा है। शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि शिवाजी महाराज का अपमान सहन नहीं कर सकते। जिस छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम सुनकर औरंगजेब को रात भर नींद नहीं आती थी। जिस शिवाजी की वीर सेना ने मुगलों की नाक में दम कर दिया था। ऐसे वीर शिवाजी के बारे में भाजपा प्रवक्ता इस तरह के बयान दे रहे हैं। शायद सुधांशु त्रिवेदी को इतिहास की जानकारी नहीं है। वहीं, भाजपा के सहयोगी और शिवसेना के शिंदे गुट ,राकांपा  और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना ने राज्यपाल पर भी निशाना साधा और कहा कि केंद्र सरकार उन्हें किसी दूसरे राज्य में भेज दें। निश्चित रूप से इस तरह के बयान स्वीकार्य नहीं है। शिवाजी महाराज महाराष्ट्र ही नहीं पूरे देश के नायक हैं। उनकी तुलना किसी और से नहीं की जा सकती। वैसे राज्यपाल कोश्यारी के बयानों से अक्सर विवाद पैदा होता रहा है। इससे पहले उन्होंने ‘मुंबई से गुजरातियों-राजस्थानियों को निकाल दो तो यहां कोई पैसा नहीं बचेगा’ जैसे बयान देकर चर्चा में आए थे। इस पर उन्होंने माफी भी मांगी थी। बहरहाल, वोट की राजनीति के चलते राजनेताओं को ऐसे-ऐसे बयान देने पड़ रहे हैं, जो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। ऐसे बयान समाज व देश में सिर्फ वैमनस्य पैदा करते हैं, इससे बचा जाना चाहिए। कांग्रेस सावरकर के बहाने भाजपा को निशाना बनाना चाहती थी, लेकिन उसने अपने सहयोगी शिवसेना (उद्धव गुट) को ही नाराज कर डाला। वह भी ऐसे समय में जब उसकी भारत जोड़ो यात्रा सफल होती दिख रही है।