एम्स में 100 लोगों को दी जाएगी डोज
नई दिल्ली/भारत में बनी पहली कोरोना वायरस वैक्सीन को-वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल दिल्ली स्थित एम्स में शुरू हो रहा है। ट्रायल की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर डॉ संजय राय ने ऑल इंडिया रेडियो से कहा कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उम्मीद है कि आज कुछ वॉलंटिअर्स को वैक्सीन की पहली डोज दे दी जाएगी। एम्स दिल्ली देश की उन 12 जगहों में से एक है जहां को-वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है। यहां का सैंपल साइज पूरे देश में सबसे बड़ा है इसलिए नतीजे पूरी रिसर्च की दिशा तय करेंगे। एम्स पटना और रोहतक पीजीआई में वैक्सीन का ट्रायल पहले ही चल रहा है। गोवा में भी आज से ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो रही है। आइए जानते हैं वैक्सीन ट्रायल से जुड़ी बड़ी बातें। को-वैक्सीन को हैदराबाद की भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरलॉजी के साथ मिलकर बनाया है। वैक्सीन का कोडनेम बीबीवी-152 है। को-वैक्सीन एक इनऐक्टिवेटेड वैक्सीन है। यह उन कोरोना वायरस के पार्टिकल्स से बनी है जिन्हें मार दिया गया था ताकि वे इन्फेक्ट न कर पाएं। इसकी डोज से शरीर में वायरस के खिलाफ ऐंटीबॉडीज बनती हैं। को-वैक्सीन को फेज 1 और फेज 2 ट्रायल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मंजूरी मिल चुकी है। पहले फेज में कुल 375 लोगों पर ट्रायल होगा जबकि दूसरे में 750 पर। आईएमसीआर ने उन्हीं इंस्टीट्यूट्स को चुना है जहां पर क्लिनिकल फार्माकॉलजी विंग है और ह्यूमन ट्रायल में एक्सपीरिएंस वाले हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स हैं। ट्रायल की सारी डिटेल्स को-आईएमसीआर को भेजी जाएंगी। वहीं पर डेटा को एनलाइज किया जा रहा है। वैक्सीन की दो डोज- पहली पहले दिन और दूसरी 14वें दिन दी जाएगी। ट्रायल में डबल ब्लाइन्ड तकनीक का भी इस्तेमाल होगा जिसमें न तो वॉलंटिअर, न ही रिसर्चर्स को पता रहेगा कि किसे वैक्सीन दी जा रही है और किसे प्लेसीबो। 18 से 55 साल की उम्र वाले व्यक्ति इस रैंडमाइज्ड, डबल ब्लाइन्ड, प्लेसीबो कंट्रोल ट्रायल में हिस्सा ले सकते हैं। वॉलंटिअर को कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए। न ही वह पहले कोविड-19 पॉजिटिव रहा होना चाहिए। कोई भी स्वस्थ इंसान जो ट्रायल का हिस्सा बनना चाहे वह Ctaiims.covid19@gmail.com पर ईमेल कर सकता है। इसके अलावा 7428847499 पर स्रूस् या कॉल भी किया जा सकता है।