भाटापारा कब बनेगा स्वतंत्र राजस्व जिला?

0 भाटापारा को स्वतंत्र जिला बनाया जाना नंदकुमार पटेल को होगी सच्ची श्रद्धांजलि

भाटापारा। भाटापारा को अब स्वतंत्र जिला बनाया जाना बहुत जरूरी हो गया है।कांग्रेस सरकार के 3 वर्ष पूरे हो जाने के बाद अंचल में जिले की आग एक बार सुलग चुकी है, नगर वासियो को भरोसा है किआने वाले विधानसभा चुनाव के पहले भाटापारा को पृथक रूप से जिला बनाकर कांग्रेस जहाँ इस विधानसभा में ताल ठोकेगी वही प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष स्व नंद कुमार पटेल के द्वारा की गई घोषणा के पूरा होने से उन्हें कांग्रेस की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
नगर व अंचल की जनता काफी समय से भाटापारा को पृथक रूप से स्वतंत्र जिला बनाने की मांग हर उचित माध्यम सेशान्ति पूर्वक करते आ रही है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व नंदकुमार पटेल ने अपने भाटापारा प्रवास के दौरान सार्वजनिक रूप से यह घोषणा की थी कि प्रदेश में 15 साल का भाजपा राज के समाप्त होते ही कांग्रेस सरकार बनने पर भाटापारा को सबसे पहले पृथक रूप से स्वतंत्र जिला बनाया जाएगा,लेकिन दुर्भाग्य की बात की वे अब दुनिया मे तो नही है लेकिन उनके द्वारा कहा गया एक एक वाक्य क्षेत्र की जनता के जेहन में बसा हुआ हैं।प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भी पिछले 3 वर्षों से काबिज है और प्रदेश सरकार के मुखिया ने भी अंचल की जनता की इस बहुत पुरानी मांग पर भरोसा जताते हुए अपनी सरकार के सत्तारूढ़ होने के पूर्व अपने सार्वजनिक भाषण में स्व नंदकुमार पटेल की घोषणा को पूरा करते हुए भाटापारा को जिला बनाने का पूरा भरोसा जताया था।  कांग्रेस के अन्य बड़े नेताओं ने भी भाटापारा को स्वतंत्र जिला बनाए जाने की वकालत की थी ,लेकिन 3 साल में कई नये जिले बनाने कीउनके द्वारा घोषणा की गई और नए जिले अस्तित्व में भी आये लेकिन भाटापारा जिले का नाम ना आने से अंचल की जनता अपने को ठगा सा महसूस कर रही है। जिले के नाम पर जनता अब बदलाव की संभावना खोज रही है। यह संभावना न केवल सत्ता पक्ष के लिए चुनौती हो सकता है बल्कि उस विपक्ष के लिए परेशानी का कारण बन सकता है, जो भाटापारा को स्वतंत्र जिला बनाने में कारगर कदम कभी नहीं उठाया। स्वतंत्र जिला का मुद्दा, हर विधानसभा चुनाव के दौरान उठता रहा है। इस बार भी मुद्दा चुनाव के दौरान गर्म रहेगा।

प्रदेश में जैसे ही कांग्रेस की सरकार बनेगी, भाटापारा को स्वतंत्र जिले का दर्जा मिलेगा। 9 वर्ष पूर्व दिग्गज कांग्रेसी नेता नंद कुमार पटेल की यह घोषणा, शायद पार्टी भूल चुकी है, तभी तो 3 नए जिले और बन गए लेकिन पहली दावेदारी भूला दी गई। अब इस दावेदारी की अनदेखी भारी पड़ने की संभावना बनती नजर आती है क्योंकि हर मामले में की जा रही उपेक्षा से उपजी नाराजगी निचले स्तर तक पहुंच चुकी है।

इनसे पूछेंगे सवाल

2018 को यहाँ हुए आदिवासी सम्मेलन में प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया, डा. चरण दास महंत, डा. शिवकुमार डहरिया और राजकमल सिंघानिया की उपस्थिति में मुखिया की जिम्मेदारी संभाल रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि जैसे ही कांग्रेस की सरकार प्रदेश में आएगी वैसे ही भाटापारा को स्वतंत्र जिले का दर्जा मिलेगा ।तीन साल बीत चुके हैं, शायद मुख्यमंत्री भूल गए कि जो घोषणा भाटापारा को लेकर उन्होंने की थी उसे लेकर सवाल पूछने की तैयारी चालू हो चुकी है।

गुस्सा इनसे

15 साल तक बिना बाधा के प्रदेश में सरकार चलाने वाली भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से भी शहर बेतरह नाराज है। नाराजगी के बावजूद उसके प्रत्याशी को जीत दिला कर भरोसा जताया। अब यह भरोसा और विश्वास पूरी तरह टूट चुका है क्योंकि जैसी उपेक्षा भाजपा ने अपने शासनकाल में भाटापारा विधानसभा क्षेत्र में की, उसकी मिसाल शायद ही प्रदेश में मिले। जिले का हकदार था अपना शहर, लेकिन वोट की राजनीति हमेशा की तरह भारी पड़ गई,जनता ठगी रह गई।

रेल लाइन,पानी सहित पूरी पात्रता,लेकिन फिर भी अपात्र

पात्रता की लगभग सभी शर्त पूरी करने वाला रायपुर बिलासपुर रेल मार्ग का सबसे बड़ा रेल्वें स्टेशन भाटापारा,जिले का सबसे बड़ा शहर, छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी नगर पालिका और महत्वपूर्ण शहर है। भौगोलिक स्थितियां जहां पात्रता की शर्त पूरा करती है तो आसान आवाजाही के बेहतर संसाधन इसे विस्तार देते हैं। लघु एवं मध्यम दर्जे के स्थापित उद्योग विकास को गति दे रहे हैं। इसके अलावा कृषि के क्षेत्र में भी शहर विशिष्ट पहचान रखता है। इसके बावजूद सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए यह मात्र सामान्य सा विधानसभा क्षेत्र लगता है जहां सिर्फ वोट पाना ही अपना एकमात्र उद्देश्य रहता आया है और उसके बाद जनता को जिले के सपने मुंगेरी लाल के हसीन सपने नजर आ रहे हैं।लेकिन अब एक बार फिर जिले की आग यहाँ सुलग चुकी है और आने वाले 2023 के पूर्व यहाँ की जनता कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले इस भाटापारा को पृथक रूप से स्वतंत्र जिला के रूप में स्थापित होते देखने की मंशा रख रही है।

जिला निर्माण संघर्ष समिति की बैठक शीघ्र होगी

जिला निर्माण संघर्ष समिति की एक बैठक शीघ्र होने वाली है बैठक के तारीख व समय भी निर्धारित नहीं है लेकिन इतना जरूर है कि इसकी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है और जिला निर्माण के लिए एक बैठक यथाशीघ्र होगी जिसमें आने वाले समय में समिति की ओर से क्या-क्या किया जाएगा इस पर विचार विमर्श होगा और आगे की रणनीति बनेगी।