क्या सीपीपी आधारित उद्योगों की कीमत पर छत्तीसगढ़ से राजस्थान को होगी कोयले की आपूर्ति ?

रायपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बीते शुक्रवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने पहुंचे। गहलोत का संक्षिप्त प्रवास कोयला आपूर्ति के मुद्दे पर केंद्रित था। गहलोत ने बघेल से मिन्नतों के स्वर में कहा है कि यदि उनके विद्युत संयंत्रों को छत्तीसगढ़ से कोयला नहीं मिला तो उनके कारखाने बंद हो जाएंगे। कोयले की कमी से जूझ रहे राजस्थान के अनेक अधिकारी पिछले कई दिनों से छत्तीसगढ़ में डेरा डाले हुए हैं ताकि वे अपने राज्य के लिए कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित कर सकें। और तो और मामला इतना गरमा गया है कि कोयले के खनन के मामले में गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी हस्तक्षेप की मांग कर चुके हैं। बड़ा सवाल है कि जब छत्तीसगढ़ के सीपीपी आधारित उद्योग अपने प्रचालन के लिए कोयले की कमी से जूझ रहे हैं ऐसे में क्या प्रदेश के उद्योगों की कीमत पर बघेल राजस्थान को छत्तीसगढ़ से कोयला ले जाने की इजाजत देंगे?
देश में कोयले के खनन पर लगभग एकाधिकार रखने वाली कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और उसकी अनुषंगी कंपनियों की हालत किसी से छिपी नहीं है। छत्तीसगढ़ में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) उत्पादन लक्ष्यों के आधार पर बिना शक बड़े खिलाड़ी की हैसियत रखती है परंतु उसका प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं। एसईसीएल के पास पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन इस वित्तीय वर्ष में तो वह अपने लक्ष्य 172 मिलियन टन की तुलना में 36 मिलियन टन पीछे रह जाने वाली है और बचे हुए दिनों में इतना उत्खनन करना नामुमकिन है। वहीं एसईसीएल की अनुषंगी कंपनी एमसीएल ने समय सीमा से पहले ही अपने लक्ष्य को पूरा कर लिया। जाहिर है एसईसीएल की इस नाकामी का खामियाजा छत्तीसगढ़ के ऐसे सीपीपी आधारित उद्योग झेलेंगे जो कोयले के लिए पूरी तरह से एसईसीएल पर आश्रित हैं।
बताते चलें कि छत्तीसगढ़ राज्य के 250 से अधिक कैप्टिव विद्युत संयंत्रों पर आधारित उद्योगों के सुचारू संचालन के लिए प्रति वर्ष 32 मिलियन टन कोयले की आवश्यकता है जो कि एसईसीएल के उत्पादन का मात्र 19 प्रतिशत है। इन उद्योगों ने लगभग 4000 मेगावॉट के कैप्टिव पावर प्लांट स्थापित किए हैं जिनके लिए हर दिन लगभग 2 लाख टन कोयले की जरूरत है लेकिन अपने उत्पादन लक्ष्य से काफी पिछड़ चुकी कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी एसईसीएल की स्थिति यह है कि उसने नॉन पावर सेक्टर को प्रतिदिन मात्र 45 हजार टन कोयले की आपूर्ति करने की रणनीति बनाई है।
अब एसईसीएल के 19 मार्च, 2022 के एक परिपत्र को देखें। इसमें यह स्पष्ट कहा गया है कि 21 मार्च, 2022 को होने वाले स्पॉट ई-ऑक्शन को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया है। एसईसीएल छत्तीसगढ़ में सीपीपी आधारित उद्योगों के उपभोक्ताओं के मंथली शेड्यूल्ड क्वांटिटी (एमएसक्यू) में 25 फीसदी कोयले की कटौती पहले ही कर चुका है। इनका सीधा सा मतलब यही है कि प्रदेश के सीपीपी आधारित उपभोक्ता उनके हाल पर छोड़ दिए गए हैं।
छत्तीसगढ़ के कोयले पर पहला अधिकार छत्तीसगढ़ की जनता का है। सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ के कोल ब्लॉक से कोयले का वितरण छत्तीसगढ़ के बड़े कैप्टिव विद्युत संयंत्रों को होना चाहिए। इससे राज्य सरकार को बहुमूल्य राजस्व तो प्राप्त होगा ही साथ-साथ छत्तीसगढ़ के सामाजिक और आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा। लाखों रोजगार के साथ राज्य सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर होगा। यदि कोयला संकट के कारण उद्योगों में तालाबंदी जैसी स्थिति बनी तो लाखों नागरिक बेरोजगार हो जाएंगे जिसका सीधा असर प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने पर होगा।
बहरहाल, देखने वाली बात यह है कि क्या राज्य सरकार राजस्थान को कोयला देने के लिए सिर्फ इसलिए तैयार हो जाएगी कि वह भी एक कांग्रेस शासित प्रदेश है। या फिर एक संतुलित नजरिया अपनाते हुए छत्तीसगढ़ अपने उद्योगों के लिए प्राथमिकता के आधार पर कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।