अरुण पटेल
भले ही मंत्रि-परिषद में सदस्यों के बीच विभागों के वितरण में कुछ अधिक समय लग गया हो लेकिन उसका जो फलितार्थ अंतत: सामने आया उसमें भाजपा के कुनबे में आये नये और पुराने साथियों के बीच समन्वय व तालमेल बैठाने और अधिकांश के मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को बरकरार रखने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिद्धहस्त साबित हुए हैं। यह कहा जा सकता है कि सिंधिया और भाजपा के बीच विभागों का संतुलित बंटावारा किया गया है।
जिस परीक्षा की कसौटी में शिवराज खरे नहीं उतर पायेंगे, उन कयासों और अटकलों पर न केवल उन्होंने विराम लगाया बल्कि इस मंथन से जो भी निकला उसमें किसी के भी खाते में विषपान जैसी स्थिति नहीं आई बल्कि सभी के खाते में कुछ न कुछ अमृत की बूंदे आ ही गईं। इस कुशलता के साथ शिवराज ने पूरी कसरत को अंजाम दिया जिससे कहीं भी असंतोष के स्वर फूटने की गुंजाइश ही नहीं बची। जिस प्रकार की खबरें राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के विभागों को लेकर अड़ जाने की आ रही थीं उसमें सिंधिया ने भी अभी तक अपने स्वभाव के विपरीत कुछ लचीलापन दिखाया और इसका ही यह नतीजा रहा कि कम से कम विभाग वितरण में कहीं भी असंतुलन नजर नहीं आ रहा है। भाजपा के दिग्गज नेताओं और वरिष्ठ मंत्रियों में शुमार डॉ. नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह को उनके अनुभव के अनुरुप पूरा महत्व दिया गया तो वहीं दूसरी ओर सिंधिया के साथ भाजपा के कुनबे में जुड़े साथियों को भी अच्छे-खासे और भारी-भरकम विभाग मिले। लेकिन यह सब कुछ ऐसी कुशलता के साथ किया गया कि जिसमें सभी को यह लगे कि उन्हें उनके कद के हिसाब से विभाग मिल गए हैं।
भाजपा के संकटमोचक रहे डॉ. नरोत्तम मिश्रा का मंत्रि-परिषद में दबदबा और रसूख कायम रहा और मुख्यमंत्री के बाद के क्रम में रखते हुए उन्हें गृह, जेल, संसदीय कार्य और विधि जैसे महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व सौंपा गया है। नेता प्रतिपक्ष एवं वरिष्ठ मंत्री रहे गोपाल भार्गव के हिस्से में लोक निर्माण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग आया है तो चौथी पायदान पर सिंधिया के खास सिपहसालार तुलसी सिलावट पहुंच गए और उन्हें जल संसाधन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग सौंपा गया है, यह एक ऐसा विभाग है जहां काफी कुछ करने और किसानों तथा मत्स्य पालन व्यवसाय में लगे लोगों के बीच अपनी छवि बनाने का मौका मिलेगा। विजय शाह को वन जैसा भारी-भरकम विभाग सौंपा गया है तथा जगदीश देवड़ा वित्त के साथ वाणिज्यिक कर, योजना, आर्थिक तथा सांख्यिकीय विभाग भी संभालेंगे। बिसाहूलाल सिंह की गिनती सिंधिया समर्थकों में नहीं होती लेकिन वे पुराने कांग्रेसी हैं और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नजदीकी माने जाते रहे हैं, उन्हें भी खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण जैसा विभाग मिला है जो आज के परिवेश में काफी महत्वपूर्ण है और आम गरीब लोगों से जुड़ा हुआ है। सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया को खेल एवं युवा कल्याण, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग सौंपे गए हैं। चूंकि भारत आजकल युवाओं का देश माना जाता है इसलिए कहा जा सकता है कि युवाओं के बीच पार्टी का जनाधार बढ़ाने का एक अवसर उन्हें मिला है। जबकि भूपेन्द्र सिंह को नगरीय विकास एवं आवास विभाग सौंपा गया है, चूंकि आने वाले समय में नगरीय निकायों के चुनाव होना हैं इस दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विभाग है, शहरी आम गरीबों से लेकर समाज के हर वर्ग को आवास मुहैया कराना इस विभाग के अंतर्गत आता है तथा सीधे जनता से जुड़ा होने के कारण यह विभाग भी काफी अहम् विभाग माना जाता है।
प्रदेश में सत्ता का रास्ता आदिवासियों, दलितों, किसानों और युवाओं के बीच से होकर गुजरता है, इस दृष्टि से ये विभाग भाजपा के पुराने नेताओं के खाते में गए हैं। मीना सिंह को आदिम जाति कल्याण और अनुसूचित जाति कल्याण विभाग तथा कमल पटेल को किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग सौंपा गया है। ऐदल सिंह कंसाना भी कांग्रेस से भाजपा में आए हैं और इन्हें सिंधिया समर्थकों में नहीं माना जाता है, इन्हें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मिला है। गोविन्द सिंह राजपूत को राजस्व एवं परिवहन विभाग जो कि उनके पास कमलनाथ सरकार में भी था फिर से मिल गया और उनका दबदबा भी कायम रखा गया है। कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. गोविन्द सिंह की बिना मांगे दी गई सलाह पर शिवराज ने कोई ध्यान नहीं दिया कि राजस्व विभाग सिंधिया समर्थक को ना सौंपा जाए, क्योंकि इस विभाग में उनकी विशेष दिलचस्पी रहती है और जमीनों की हेराफेरी के उन पर आरोप लगते रहे हैं।
अरविन्द भदौरिया को सहकारिता जैसा अहम् तथा राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विभाग के साथ ही लोक प्रबंधन का मंत्री बनाया गया है। अन्य मंत्रियों में ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह को खनिज साधन एवं श्रम, विश्वास सारंग को चिकित्सा शिक्षा, गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग मिला है जबकि कमलनाथ मंत्रिमंडल में महिला एवं बाल विकास जैसा महत्वपूर्ण विभाग संभाल रही इमरती देवी को भी वही दायित्व सौंपा गया है। डॉ. प्रभु राम चौधरी को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महेन्द्र सिंह सिसोदिया को पंचायत एवं ग्रामीण विकास, प्रद्युम्न सिंह तोमर को ऊर्जा, प्रेम सिंह पटेल को पशुपालन, सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण, ओमप्रकाश सकलेचा को सूक्ष्म, लधु एवं मध्यम उद्यम के साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्यागिकी विभाग मिला है तो उषा ठाकुर के खाते में पर्यटन, संस्कृति एवं आध्यात्म, मोहन यादव को उच्च शिक्षा, हरदीप सिंह डंग को नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा तथा पर्यावरण, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोग्राम विभाग सौंपा गया है।
राज्यमंत्रियों में कुनबे के पुराने साथियों को कुछ स्वतंत्र प्रभार के विभाग भी मिले हैं, जिनमें भारत सिंह सिंह कुशवाह को उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण (स्वतंत्र प्रभार) तथा नर्मदा घाटी विकास, इन्दर सिंह परमार को स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार), सामान्य प्रशासन, रामखेलावन पटेल को पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण तथा विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्ध घुमक्कड़ जनजाति कल्याण विभागों के स्वतंत्र प्रभार के साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकास, रामकिशोर(नानो) कांवरे को आयुष विभाग (स्वतंत्र प्रभार) एवं जल संसाधन जबकि ब्रजेन्द्र सिंह यादव को लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी, गिरराज दंडोदिया को किसान कल्याण एवं कृषि विभाग, सुरेश धाकड़ को लोक निर्माण विभाग, और ओ पी एस भदौरिया को नगरीय विकास एवं आवास विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया है। सभी प्रकार की शिक्षा, संस्कार और अध्यात्म जैसे संस्कार देने वाले विभाग भाजपा के पुराने साथियों के खाते में आए हैं।
भले ही मंत्रि-परिषद में सदस्यों के बीच विभागों के वितरण में कुछ अधिक समय लग गया हो लेकिन उसका जो फलितार्थ अंतत: सामने आया उसमें भाजपा के कुनबे में आये नये और पुराने साथियों के बीच समन्वय व तालमेल बैठाने और अधिकांश के मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को बरकरार रखने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिद्धहस्त साबित हुए हैं। यह कहा जा सकता है कि सिंधिया और भाजपा के बीच विभागों का संतुलित बंटावारा किया गया है।
जिस परीक्षा की कसौटी में शिवराज खरे नहीं उतर पायेंगे, उन कयासों और अटकलों पर न केवल उन्होंने विराम लगाया बल्कि इस मंथन से जो भी निकला उसमें किसी के भी खाते में विषपान जैसी स्थिति नहीं आई बल्कि सभी के खाते में कुछ न कुछ अमृत की बूंदे आ ही गईं। इस कुशलता के साथ शिवराज ने पूरी कसरत को अंजाम दिया जिससे कहीं भी असंतोष के स्वर फूटने की गुंजाइश ही नहीं बची। जिस प्रकार की खबरें राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के विभागों को लेकर अड़ जाने की आ रही थीं उसमें सिंधिया ने भी अभी तक अपने स्वभाव के विपरीत कुछ लचीलापन दिखाया और इसका ही यह नतीजा रहा कि कम से कम विभाग वितरण में कहीं भी असंतुलन नजर नहीं आ रहा है। भाजपा के दिग्गज नेताओं और वरिष्ठ मंत्रियों में शुमार डॉ. नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह को उनके अनुभव के अनुरुप पूरा महत्व दिया गया तो वहीं दूसरी ओर सिंधिया के साथ भाजपा के कुनबे में जुड़े साथियों को भी अच्छे-खासे और भारी-भरकम विभाग मिले। लेकिन यह सब कुछ ऐसी कुशलता के साथ किया गया कि जिसमें सभी को यह लगे कि उन्हें उनके कद के हिसाब से विभाग मिल गए हैं।
भाजपा के संकटमोचक रहे डॉ. नरोत्तम मिश्रा का मंत्रि-परिषद में दबदबा और रसूख कायम रहा और मुख्यमंत्री के बाद के क्रम में रखते हुए उन्हें गृह, जेल, संसदीय कार्य और विधि जैसे महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व सौंपा गया है। नेता प्रतिपक्ष एवं वरिष्ठ मंत्री रहे गोपाल भार्गव के हिस्से में लोक निर्माण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग आया है तो चौथी पायदान पर सिंधिया के खास सिपहसालार तुलसी सिलावट पहुंच गए और उन्हें जल संसाधन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग सौंपा गया है, यह एक ऐसा विभाग है जहां काफी कुछ करने और किसानों तथा मत्स्य पालन व्यवसाय में लगे लोगों के बीच अपनी छवि बनाने का मौका मिलेगा। विजय शाह को वन जैसा भारी-भरकम विभाग सौंपा गया है तथा जगदीश देवड़ा वित्त के साथ वाणिज्यिक कर, योजना, आर्थिक तथा सांख्यिकीय विभाग भी संभालेंगे। बिसाहूलाल सिंह की गिनती सिंधिया समर्थकों में नहीं होती लेकिन वे पुराने कांग्रेसी हैं और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नजदीकी माने जाते रहे हैं, उन्हें भी खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण जैसा विभाग मिला है जो आज के परिवेश में काफी महत्वपूर्ण है और आम गरीब लोगों से जुड़ा हुआ है। सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया को खेल एवं युवा कल्याण, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग सौंपे गए हैं। चूंकि भारत आजकल युवाओं का देश माना जाता है इसलिए कहा जा सकता है कि युवाओं के बीच पार्टी का जनाधार बढ़ाने का एक अवसर उन्हें मिला है। जबकि भूपेन्द्र सिंह को नगरीय विकास एवं आवास विभाग सौंपा गया है, चूंकि आने वाले समय में नगरीय निकायों के चुनाव होना हैं इस दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विभाग है, शहरी आम गरीबों से लेकर समाज के हर वर्ग को आवास मुहैया कराना इस विभाग के अंतर्गत आता है तथा सीधे जनता से जुड़ा होने के कारण यह विभाग भी काफी अहम् विभाग माना जाता है।
प्रदेश में सत्ता का रास्ता आदिवासियों, दलितों, किसानों और युवाओं के बीच से होकर गुजरता है, इस दृष्टि से ये विभाग भाजपा के पुराने नेताओं के खाते में गए हैं। मीना सिंह को आदिम जाति कल्याण और अनुसूचित जाति कल्याण विभाग तथा कमल पटेल को किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग सौंपा गया है। ऐदल सिंह कंसाना भी कांग्रेस से भाजपा में आए हैं और इन्हें सिंधिया समर्थकों में नहीं माना जाता है, इन्हें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मिला है। गोविन्द सिंह राजपूत को राजस्व एवं परिवहन विभाग जो कि उनके पास कमलनाथ सरकार में भी था फिर से मिल गया और उनका दबदबा भी कायम रखा गया है। कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. गोविन्द सिंह की बिना मांगे दी गई सलाह पर शिवराज ने कोई ध्यान नहीं दिया कि राजस्व विभाग सिंधिया समर्थक को ना सौंपा जाए, क्योंकि इस विभाग में उनकी विशेष दिलचस्पी रहती है और जमीनों की हेराफेरी के उन पर आरोप लगते रहे हैं।
अरविन्द भदौरिया को सहकारिता जैसा अहम् तथा राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विभाग के साथ ही लोक प्रबंधन का मंत्री बनाया गया है। अन्य मंत्रियों में ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह को खनिज साधन एवं श्रम, विश्वास सारंग को चिकित्सा शिक्षा, गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग मिला है जबकि कमलनाथ मंत्रिमंडल में महिला एवं बाल विकास जैसा महत्वपूर्ण विभाग संभाल रही इमरती देवी को भी वही दायित्व सौंपा गया है। डॉ. प्रभु राम चौधरी को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महेन्द्र सिंह सिसोदिया को पंचायत एवं ग्रामीण विकास, प्रद्युम्न सिंह तोमर को ऊर्जा, प्रेम सिंह पटेल को पशुपालन, सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण, ओमप्रकाश सकलेचा को सूक्ष्म, लधु एवं मध्यम उद्यम के साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्यागिकी विभाग मिला है तो उषा ठाकुर के खाते में पर्यटन, संस्कृति एवं आध्यात्म, मोहन यादव को उच्च शिक्षा, हरदीप सिंह डंग को नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा तथा पर्यावरण, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोग्राम विभाग सौंपा गया है।
राज्यमंत्रियों में कुनबे के पुराने साथियों को कुछ स्वतंत्र प्रभार के विभाग भी मिले हैं, जिनमें भारत सिंह सिंह कुशवाह को उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण (स्वतंत्र प्रभार) तथा नर्मदा घाटी विकास, इन्दर सिंह परमार को स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार), सामान्य प्रशासन, रामखेलावन पटेल को पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण तथा विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्ध घुमक्कड़ जनजाति कल्याण विभागों के स्वतंत्र प्रभार के साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकास, रामकिशोर(नानो) कांवरे को आयुष विभाग (स्वतंत्र प्रभार) एवं जल संसाधन जबकि ब्रजेन्द्र सिंह यादव को लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी, गिरराज दंडोदिया को किसान कल्याण एवं कृषि विभाग, सुरेश धाकड़ को लोक निर्माण विभाग, और ओ पी एस भदौरिया को नगरीय विकास एवं आवास विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया है। सभी प्रकार की शिक्षा, संस्कार और अध्यात्म जैसे संस्कार देने वाले विभाग भाजपा के पुराने साथियों के खाते में आए हैं।