रायपुर’/छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी को सहेजने का सार्थक परिणाम दिखने लगा है। छत्तीसगढ़ राज्य की इन चारों चिन्हारियों के सरंक्षण और संवर्धन के ग्रामीण जन-जीवन में खुशहाली का एक नया दौर शुरू हुआ है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नयी गति मिली है। सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में बने गौठान पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के साथ ही ग्रामीणों की आजीविका के केन्द्र के रूप में स्थापित हुए हैं। नरवा (नाला) के उपचार से वर्षा जल को सहेजने का काम शुरू होने से गांवों में भू-जल की स्थिति में सुधार होने के साथ ही नालों में साल भर पानी रूकने लगा है। इसकी वजह से नाले के किनारे के खेतों में वर्षभर नमी बने रहने तथा सिंचाई की सुविधा मिलने से किसान अब खाद्यान्न वाली फसलों के साथ ही साग-सब्जी की खेती करने लगे हैं। इससे उन्हें अतिरिक्त आय होने लगी है।