मध्य प्रदेश में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है और पिछले सप्ताह ही मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि यदि अब कहीं अपराध बढ़े तो वहां के पुलिस अधीक्षक को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी ।उनकी इस चेतावनी पर अमल करने का मौका आ गया है । प्रदेश की व्यवसायिक और व्यापारिक राजधानी कहे जाने वाले सबसे बड़े नगर इंदौर में अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं । ऐसा लगता है कि न तो स्थानीय स्तर पर पुलिस अधिकारी अपने पुलिस बल से ठीक से काम ले पा रहे हैं ना ही वरिष्ठ स्तर पर मुख्यमंत्री की चेतावनी का कोई असर हुआ है।भाई ने भाई की हत्या की , भतीजे ने चाचा को मार डाला जैसे अपराधों को रोकने में भले ही पुलिस की भूमिका की अधिक गुंजाइश ना हो लेकिन पिस्टल अड़ा कर महिला को लूट लेने,दंपति को बाइक सवारों द्वारा लूट लेने , मकान का ग्रिल उखाड़कर लाखों का सोना चुरा लेने और संगठित होकर सरेआम दिनदहाड़े किसी परिवार में डकैती डालने की घटनाएं तो पुलिस की नाकामी का ही सबूत हैं। इंदौर में बुधवार को दिनदहाड़े हुई डकैती को पुलिस लूट कह रही है। शायद इससे अधिकारियों के रिकॉर्ड पर असर पड़ता होगा । एक कारोबारी के 3 साल के पोते की कनपटी पर पिस्तौल रखकर 15 तोले सोने की इस डकैती ने निश्चित ही मुख्यमंत्री को उनकी चेतावनी की याद दिलाई है ।अपराधियों पर पुलिस का रौब नहीं रहा है। शासन भले ही कितनी ही काबिलियत बताकर किसी अधिकारी को इंदौर में नियुक्त करे, अपराधी उस अधिकारी को नाकारा सिद्ध कर देते हैं । शहर में पुलिस का रौब पासपोर्ट वेरिफिकेशन के लिए थाने के चक्कर लगाने वाले विद्यार्थियों पर है ।सड़क पर दो पहिया वाहन से अपने काम पर किनारे-किनारे जा रहे कानून पसंद व्यक्ति पर उसका रौब है । परिवार के साथ टहलने निकले आम आदमी पर उसका रौब है । पर जहां बात अपराधियों पर रौब की आती है इंदौर पुलिस कानपुर पुलिस से ज्यादा बेहतर दिखाई नहीं देती है । यह संयोग है कि हाल ही में कानपुर में एक भीषण कांड में 8 पुलिस कर्मियों की हत्या कर भागा अपराधी कानपुर से फरीदाबाद होते हुए उज्जैन पहुंचा गया लेकिन मध्यप्रदेश में रास्ते में पड़ने वाले जिलों में उसका रास्ता रोकने के लिए पुलिस कहीं भी नहीं खड़ी थी ।जबकि उसके भागने की सूचना थी ।अधिक चौकसी बरतने की सूचना थी ।और अपराधी पर भारी इनाम राशि घोषित हो चुकी थी । अपराधी विकास दुबे ने सडक मार्ग से उज्जैन पहुँचकर महाकाल मंदिर में दर्शन कर लिये , तब तक पुलिस को उसकी भनक तक नहीं थी ।यह पुलिस की नाकामी को ही उजागर करता है । देखना होगा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उसके मार्ग में पड़ने वाले जिलों के पुलिस अधीक्षकों को चौकसी में इस लापरवाही के लिए दंडित करते हैं या नहीं क्योंकि ऐसी बहुत सी चेतावनी और निर्देश समय-समय पर जारी होते रहते हैं जो धरातल पर आते-आते बेदम हो जाते हैं ।कानून पसंद लोगों को इस बात का इंतजार रहेगा कि इंदौर शहर में बढ़ते अपराधों के लिए पुलिस अधीक्षक को मुख्यमंत्री कब जिम्मेदार ठहराते हैं और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं । इंदौर में नियुक्ति के मामले में भी , चाहें राजनीतिक सिफारिश हो, चाहें चुनाव हों ,अधिकारी की काबिलियत को महत्व दिये जाने की जरुरत है । नाकाम अधिकारियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने से ही मुख्यमंत्री की चेतावनी की विश्वसनीयता कायम होगी अन्यथा नहीं ।
मध्य प्रदेश में अपराधों का बढ़ता ग्राफ
