रमन सिंह शिक्षक भर्ती और शिक्षाकर्मी संविलियन में नौजवानों को गुमराह करने की कोशिश न करें

रायपुर/ शिक्षक भर्ती पर रमन सिंह के बयान पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह जी और भाजपा के नेता शिक्षा के बारे में कुछ भी बोलने के अधिकारी नहीं है। छत्तीसगढ़ के लोग अभी भूले नहीं है कि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक आरएसएस के दफ्तर और सरस्वती शिशु मंदिर की प्राथमिक शालाओं में हुआ करती थी। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठकें आरएसएस और सरस्वती शिशु मंदिर के कार्यालयों में लेने वाले कांग्रेस को शुचिता और शिक्षा का पाठ न पढ़ायें।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कांग्रेस सरकार ने शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया आरंभ भी की है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ सरकार विपरीत आर्थिक परिस्थितियों का सामना कर रही है। लाॅक डाउन पीरियड में राज्य की आय बिल्कुल नहीं रही। कोरोना आ जाने के कारण आर्थिक गतिविधियां शून्य हो गयी। स्कूल भी 12 फरवरी से ही कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने के लिये बंद है। स्कूल खुलते साथ समुचित व्यवस्था करके शिक्षकों की भर्ती भी की जायेगी। भाजपा को कम से कम शिक्षक भर्ती को लेकर बयान देने और राजनीति करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। रमन सिंह सरकार में 42 हजार शिक्षकों के पद 15 साल तक 2003 से 2013 तक रिक्त रहे। एक भी शिक्षक की भर्ती भाजपा सरकार में नहीं की गयी। शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया तक भाजपा सरकार ने आरंभ नहीं की। रमन सिंह जी किस मुंह से कांग्रेस के खिलाफ शिक्षक भर्ती के मामले में बयान देते है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि 2003 के चुनाव के पहले रमन सिंह जी ने, भाजपा के नेताओं ने शिक्षाकर्मियों की संविलियन की घोषणा की थी। भाजपा सरकार ने शिक्षाकर्मियों के संविलियन के लिये 15 साल तक 1 पैसा 1 फुटी कौड़ी नहीं दी। राशि का प्रावधान तक नहीं किया और 15 साल तक शिक्षाकर्मियों की आंखों में धूल झोंककर राज किया और सत्ता से चले भी गये। कांग्रेस की सरकार ने सत्ता में आने के बाद शिक्षाकर्मियों के संविलियन की प्रक्रिया आरंभ की है। हजारों शिक्षाकर्मियों का संविलियन भी हुआ है। जो बचे हुये है उनका भी संविलियन जल्दी से जल्द किया जायेगा। शिक्षाकर्मियों का संविलियन को कांग्रेस सरकार ने प्राथमिकता दी है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्पष्ट ऐलान किया है कि स्कूल खुलते ही शिक्षाकर्मियों का संविलियन एवं शिक्षकों की भर्ती कर ली जाएगी। जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्पष्ट ऐलान कर दिया है तो डाॅ. रमन सिंह द्वारा प्रदेश के नौजवानों को गुमराह करने की कोशिश निंदनीय है।
तब धरमलाल कौशिक की बोलती क्यों बंद थी?
डीएमएफ पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह ने डीएमएफ मद में किसी भी जनप्रतिनिधि की कोई भागीदारी नहीं रखी थी तब धरमलाल कौशिक की बोलती क्यों बंद थी? रमन सरकार में सांसदों की डीएमएफ में कोई भूमिका नहीं होती थी। कहीं नहीं पूछा जाता था। धरमलाल कौशिक जी जरा भाजपा के 15 साल याद कर लें, जब डीएमएफ की राशि सरकारी अधिकारी बांटा करते थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की सरकार ने डीएमएफ की रमन सिंह सरकार की तुलना में बहुत बेहतर व्यवस्था बनाई जिसमें जनप्रतिनिधियों की भागीदारी भी है। डीएमएफ का वितरण और प्राथमिकता तय करना सरकार का विशेषाधिकार है।
धरम लाल कौशिक और भाजपा सांसदों से प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने पूछा है कि जिस दिन छत्तीसगढ़ के किसान के धान से बना चांवल सेंट्रल पुल में 2500 रू. दाम देने पर लेने से भाजपा की केन्द्र सरकार ने मना किया था, उस समय भी छत्तीसगढ़ के एक भी भाजपा के सांसद ने छत्तीसगढ़ के हित में, किसानों के हित में आवाज नहीं उठाई। जब छत्तीसगढ़ में कोरोना का संकट आया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की सरकार अन्य प्रांतों में फंसे छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजूदरों को और छत्तीसगढ़ के गरीबों, मजदूर किसानों को मदद पहुंचाने में लगी थी, कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रही थी, जूझ रही थी तब भाजपा के सांसदों ने अपनी सांसद निधि से छत्तीसगढ़ के लोगों को मदद करने की जरूरत नहीं समझी। भाजपा के इन सांसदों को उस समय भी छत्तीसगढ़ की याद नहीं आयी जब गरीब कल्याण योजना में छत्तीसगढ़ को छोड़ा गया और अब डीएमएफ के लिये धरमलाल कौशिक जी सांसदों की सिफारिश करते हुये पत्र लिख रहे है। धरमलाल कौशिक, भाजपा सांसदों की भागीदारी की इच्छा जाग गयी है। जब जनता की भागीदारी नहीं थी तब भाजपा के सांसद क्यों चुप थे? हवाईपट्टी, आडिटोरियम लिफ्ट में डीएमएफ का पैसा फूंका जाता था तब कौशिक जी क्यों चुप थे?

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