निमहांस ने स्वास्थ्यकर्मियों से कहा है कि वे होम क्वारंटाइन या आइसोलेशन में रह रहे मरीजों की मानसिक सेहत का भी ध्यान रखें और अगर स्थिति गंभीर हो तो मनोरोग विशेषज्ञों तक इसकी जानकारी पहुंचाएं। संस्था ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक गाइडलाइन शनिवार को जारी की।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहांस) ने कहा कि गंभीर मानसिक विकारों के शिकार लोगों के इलाज में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए, बल्कि ऐसे वक्त में मानसिक समस्याएं बढ़ने की संभावना के मद्देनजर आपात सेवाओं को हमेशा तैयार रखा जाना चाहिए।
उसने कहा कि होम क्वारंटाइन, आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग के समय में लोगों की मानसिक स्थिति पर पड़ सकता है। उनकी निगरानी कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों की भूमिका ऐसे वक्त बेहद अहम है। वे मरीजों के संपर्क में रहकर कोरोना को लेकर किसी भी लोकलाज के भय को दूर करें और उनका मनोबल बढ़ाएं। बच्चों और वयस्कों में किसी भी भावनात्मक या व्यावहारिक बदलाव को लेकर अभिभावक सतर्क रहें।
घरेलू हिंसा के मामलों में संवेदनशीलता दिखाएं-
गाइडलाइन में कहा गया है कि लॉकडाउन और बंदिशों के समय में घरेलू हिंसा और उत्पीड़न की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। ऐसे में अग्रिम मोर्चे पर काम कर रहे लोगों का यह दायित्व बनता है कि वे ऐसे मामले में पूरी संवेदनशीलता बरतें।