रास चुनाव: कांग्रेस-भाजपा और कॉव-कॉव

0 आपकी बात: संजीव वर्मा
देश के 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए हो रहे द्विवार्षिकी चुनाव में 41 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन के बाद अब 16 सीटों के लिए घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस-भाजपा में कॉव-कॉव की स्थिति है। दोनों दलों की साख दॉव पर लगी हुई है। छोटे-छोटे दल और निर्दलियों की पौ-बारह है। भाजपा ने चार अतिरिक्त सीटें जीतने जी-जान से जुटी हुई है और इसके लिए वह निर्दलीय विधायकों पर डोरे तो डाल ही रही है कांग्रेस की अंर्तकलह का फायदा उठाने की जुगत में भी है। दरअसल मीडिया जगत से सुभाष चंद्रा राजस्थान और कार्तिकेय शर्मा हरियाणा से बतौर निर्दलीय नामांकन दाखिल कर चुनावी माहौल को गरमा दिया है। इससे कांग्रेस की राह थोड़ी मुश्किल हो गई है। राजस्थान की बात करें तो वहां कांग्रेस के पास 108 और भाजपा के पास 71 मत हैं। ऐसे में कांग्रेस आसानी से दो और भाजपा एक सीट जीत सकती है। कांग्रेस की कोशिश 13 निर्दलीय विधायकों के अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन, मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के दो-दो मतों को हासिल करने की है ताकि वह अपने उम्मीदवार प्रमोद तिवारी की जीत सुनिश्चित कर सके। दूसरी ओर भाजपा ने राज्य के पूर्व मंत्री घनश्याम तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है। उनकी जीत भी तय है। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को जीता पाएगी या नहीं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि भाजपा ‘खरीद-फरोख्त’ के खेल में लगी है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिलेगी। हरियाणा में भी इसी तरह की स्थिति बन गई है। 90 विधायकों वाली हरियाणा विधानसभा में राज्यसभा के लिए भाजपा ने कृष्णलाल पवार को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने अजय माकन को टिकट दिया है। जबकि कार्तिकेय शर्मा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है। हरियाणा में राज्यसभा में जीत के लिए 31 वोटों की जरूरत है। कांग्रेस के पास 31 विधायक भी हैं। लेकिन कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर है। दरअसल कार्तिकेय शर्मा पूर्व केन्द्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे हैं। कार्तिकेय के ससुर कुलदीप शर्मा कांग्रेस के विधायक हैं। इसलिए कांग्रेस डर रही है। वैसे डरना लाजिमी भी है। पिछली बार हरियाणा में कांग्रेस के कुछ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। इसलिए इस बार कांग्रेस पहले से अलर्ट हो गई है और अपने 28 विधायकों को छत्तीसगढ़ शिफ्ट कर दिया है। सभी विधायक राजधानी रायपुर के एक रिसॉर्ट में आराम फरमा रहे हैं। उधर, भाजपा ने महाराष्ट्र में धनंजय महादिक और कर्नाटक में लहर सिंह को अतिरिक्त उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा है। उसकी कोशिश कांग्रेस के भीतर असंतोष का लाभ उठाकर और दूसरे दलों के विधायकों के समर्थन से अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करना है। कर्नाटक में भी राज्यसभा चुनाव की जंग रोचक हो गई है, क्योंकि भाजपा के साथ ही कांग्रेस भी जनता दल (सेक्युलर) को अपने खेमे में करने की जुगत में हैं । लेकिन ऊंट किस करवट बैठेगा। यह मतदान के बाद ही पता चल सकेगा। दरअसल इस बार राज्यसभा चुनाव में भाजपा दोहरी रणनीति पर काम कर रही है। उसकी कोशिश कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों का मत हासिल करने के साथ ही निर्दलियों और अन्य छोटे-छोटे दलों के विधायकों को साधने की है। वैसे भी कांग्रेस द्वारा कई राज्यों में राज्य के बाहर के नेताओं को प्रत्याशी बनाए जाने से असंतोष है। हालांकि खुलकर कोई कुछ नहीं कह पा रहे हैं। भाजपा इसी का फायदा उठाने की फिराक में है। बहरहाल, इस बार राज्यसभा चुनाव रोचक हो गया है। सभी अपनी-अपनी चालें चल दी है। कांग्रेस ने तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हरियाणा और स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव को राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपी है। अब यह देखना होगा कि किसकी चालें कामयाब होंगी। साथ ही यह भी पता चल जाएगा कि कौन कितने पानी में हैं।