शाबाश राहुल…धन्यवाद मुख्यमंत्री जी!

0 संजीव वर्मा
जांजगीर -चांपा जिले के ग्राम पिहरीद में बोरवेल के गड्ढे में गिरे 10 वर्षीय बालक राहुल ने आखिरकार 5 दिन बाद जिंदगी की जंग जीत ली। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, जिला और पुलिस प्रशासन की संयुक्त टीम ने अपने अथक प्रयास से जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करने वाले मासूम राहुल को बचा लिया। निश्चित रूप से बचाव टीम बधाई के पात्र हैं। लेकिन इस दुरुह कार्य में छत्तीसगढ़ सरकार और मुखिया भूपेश बघेल की जितनी तारीफ की जाए वह कम हैं। मुख्यमंत्री अपने व्यस्तम शेड्यूल के बावजूद इस बचाव अभियान पर नजर लगाए हुए थे। वे लगातार 5 दिनों तक मॉनिटरिंग करते रहे। यहां तक कि उन्होंने रात 2 बजे भी प्रशासनिक अफसरों को निर्देश दिए। उन्होंने राहुल के माता-पिता और उसकी दादी से बातचीत कर वादा किया था कि ‘तोर नाती ला बोलवेल ले निकाल लेबो’। उनके इस वायदे को हमारे देश के जांबाजों ने पूरा कर बता दिया कि वे किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। वैसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस कठिन चुनौती की जीत पर ट्वीट किया कि ‘माना कि चुनौती बड़ी थी, हमारी टीम भी कहां शांत खड़ी थी। रास्ते अगर चट्टानी थे, तो इरादे हमारे फौलादी थे’ उनके ट्वीट में ही मजबूत इरादे झलक रहे हैं। उन्हें पूरा यकीन था कि राहुल सकुशल बाहर आएगा और ऐसा ही हुआ। फौलादी इरादे रखने वाले मुख्यमंत्री ने एक बड़ी चट्टानी चुनौती का सफल सामना कर प्रदेशवासियों को बता दिया कि उनके नेतृत्व में प्रदेश सुरक्षित है। वैसे देश की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी है। लेकिन यह सबसे लंबे समय तक चलने वाला रेस्क्यू अभियान था। 21 जुलाई 2006 को हरियाणा के एक बोरवेल में प्रिंस नामक बालक गिरा था, जिसे 50 घंटे के बाद सकुशल बाहर निकाल लिया गया था। बहरहाल, छत्तीसगढ़ के 105 घंटे से अधिक समय तक चले इस रेस्क्यू अभियान में राहुल का सकुशल बाहर आना किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। राहुल का रेस्क्यू आसान नहीं था। बचाव दल को हर बार कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। राहुल के रेस्क्यू में बड़े-बड़े चट्टान बाधा बनकर रोड़ा अटकाते रहे। इस बीच बचाव दल को हर बार अपनी योजना बदलने के साथ नई-नई चुनौतियों से जूझना पड़ा। नई मशीनें बदलनी पड़ी। 65 फीट नीचे गहराई में जाकर होरिजेंटल सुरंग तैयार करने और राहुल तक पहुंचने में सिर्फ चट्टानों की वजह से 4 दिन लग गए। बचाव दल को भारी गर्मी और उमस के बीच  झुककर, लेटकर टार्च की रोशनी में काम करना पड़ा। इसके बावजूद अभियान न तो खत्म हुआ और न ही जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे राहुल ने हार मानी। उन्होंने जिस तरह की जिजीविषा दिखाई, वह अपने आप में अचंभित करने वाला था। बोरवेल में पानी भरने लगा था। गड्ढे में सांप और मेढ़क आ गए थे, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। राहुल का हौसला गजब का था। शाबाश राहुल…धन्यवाद मुख्यमंत्री जी!