रायपुर/ राज्य में कोविड से हुई मृत्यु के आंकड़ों का विश्लेषण करने से यह बात सामने आई कि अनेक लोग तबीयत खराब होने पर निजी तौर पर कार्य कर रहे गैर मान्यता प्राप्त अप्रशि़िक्षत व्यक्तियों के पास जाकर इलाज कराते है और तबीयत अधिक खराब होने पर ही शासकीय अस्पताल या अन्य अस्पताल जाते हैं जिससे उचित समय पर इलाज नही मिल पाता। इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई कि सर्दी,खांसी,बुखार,सांस लेने में तकलीफ होने के बाद भी कोरोना की जांच नही कराते हैं।

राज्य स्तरीय आॅडिट समिति के सदस्य डाॅ ओ पी सुंदरानी ने कहा कि सर्दी,खांसी ,बुखार आदि लक्षण आने पर लोगों को तुरंत कोरोना जांच करानी चाहिए। इसमें झिझकना नही चाहिए क्योंकि पाजिटिव आने पर तुरंत इलाज शुरू हो जाता है और रिकवरी की संभावनाएं भी 95 प्रतिशत से अधिक होती हैं। उन्होने कहा कि जांच कराने के बाद रिपोर्ट आते तक स्वयं को आइसेालेट करना चाहिए ािजससे परिवार में  संक्रमण का खतरा कम हो सके। रिपोर्ट आते तक सावधानी के रूप में अपना आॅक्सीजन स्तर नापते रहना  चाहिए । 95 प्रतिशत से कम रहने पर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

आज हुई डेथ आडिट रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि 29 जनवरी से 4 फरवरी के सप्ताह में प्रदेश में  कोरोना से मृतकों में  70 प्रतिशत पुरूष ,27 प्रतिशत महिलाए और 3 प्रतिशत टांसजेन्डर शामिल हैं। कोमार्बिडीटी से 77प्रतिशत और 23 प्रतिशत कोविड से मृत्यु हुई। इसमें 60 वर्ष से अधिक उम्र के समूह में सीएफआर 4.0 दर्ज किया गया ।

कोरबा जिले की  महिला को 29जनवरी को लक्षण आने के बाद 2 फरवरी को निजी चिकित्सक से इलाज कराने के बाद भी तबीयत ठीक नही हुई।निजी चिकित्सक ने सर्दी,खांसी के लक्षण आनेपर भी कोरोना जांच की सलाह नही दी।बाद में दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती र्हुइ पर तबीयत नही संभली और 3फरवरी को मृत्यु हो गई।

बलौदाबाजार जिले के 50वर्ष के पुरूष को 1जनवरी से कफ और बुखार आने पर गैर मान्यता प्राप्त व्यक्ति से स्थानीय इलाज कराया। 10 दिन बाद तिल्दा के निजी अस्पताल में भर्ती कराने  के बाद कोरोना जांच कराने पर पाजिटिव आने पर रायपुर रिफर किया लेकिन 27 जनवरी को उनकी मृत्यु हुई।